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Agra News: अब आगरा में पांच साल के लिए किराए पर मिलेंगी कब्र, ईसाई समाज ने लिया बड़ा फैसला

आगरा में अब ईसाई समाज किराए पर कब्र देगा. ईसाई समाज कब्रिस्तान में अब ना तो पक्की कब्र बनाएगा और ना ही मौजूदा कब्र पर उनके परिवार वालों का लंबे समय तक हक होगा. दिल्ली की तर्ज पर अब आगरा में भी कब्र किराए पर दी जाएंगी और यह किराया एक परिवार के लिए 5 साल तक की लीज पर होगा.

Agra News: ताजनगरी में ईसाई लोगों के लिए कब्रें कम पड़ गई हैं जिसकी वजह से ईसाई समाज को एक बड़ा फैसला लेना पड़ा है. आगरा में अब ईसाई समाज किराए पर कब्र देगा. ईसाई समाज कब्रिस्तान में अब ना तो पक्की कब्र बनाएगा और ना ही मौजूदा कब्र पर उनके परिवार वालों का लंबे समय तक हक होगा. दिल्ली की तर्ज पर अब आगरा में भी कब्र किराए पर दी जाएंगी और यह किराया एक परिवार के लिए 5 साल तक की लीज पर होगा.

कोई भी पक्की कब्र नहीं बनाई जाएगी

दरअसल, आगरा में कोरोना काल के तहत मृत्यु दर अधिक होने के चलते कब्र के लिए काफी मारामारी हुई थी. जिसकी वजह से ईसाई समाज के सामने काफी दिक्कतें आयीं थी. और सारे कब्रिस्तान फूल हो गए थे. जिसके बाद ईसाई समाज ने पक्की कब्र बनाना बंद कर दिया. ईसाई समाज के पदाधिकारियों ने एक बैठक कर महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. बैठक में निर्णय लिया गया कि अब कोई भी पक्की कब्र नहीं बनाई जाएगी. और जो कच्ची कब्र है उन्हें 5 साल के लिए लीज पर दिया जाएगा. और जिस परिवार को कब्र लीज पर दी जाएगी. वह 5 साल तक उस कब्र की देखभाल व रखरखाव करेगा. इस कब्र में 5 साल तक सिर्फ उसी परिवार के लोगों का आधिपत्य रहेगा.

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अंग्रेजों के जमाने की कब्रों को भी खोला और खोदा गया

बैठक में बताया गया कि कब्र को 5 साल के लिए लीज पर लेने वाले व्यक्ति को हर वर्ष कब्र की देखरेख के लिए 3000 का शुल्क देना होगा और 5 साल तक ही वह इस कब्र पर अपना हक जता सकते हैं. 5 साल बाद फिर यह कब्र किसी दूसरे परिवार को दे दी जाएगी. आगरा जॉइंट सिमेट्री के चेयरमैन फादर मून लाजरस ने बताया कि कब्रिस्तान में जगह बनाने के लिए अंग्रेजों के जमाने की कब्रों को भी खोला और खोदा गया है. कुछ कब्रें ऐसी हैं जो कई साल से बंद पड़ी हैं. उन कब्र के परिजन अब यहां पर उन्हें देखने भी नहीं आते. इसकी वजह से पुरानी कब्र की सही से देखभाल नहीं हो पा रही थी. कब्रिस्तान में आने वाले नए शवों के लिए जगह नहीं बच पा रही है. ऐसे में ईसाई समाज को यह महत्वपूर्ण फैसला लेना पड़ा और इसके लिए पदाधिकारियों ने बैठक में बिल पास किया.

रिपोर्ट : राघवेंद्र गहलोत

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