UP Election 2022: CM योगी को वीआईपी सीट पर घेरने की विपक्षी दलों ने बिछाई बिसात, शतरंज में हर चाल हैं खास

अब गोरखपुर सदर सीट पर भाजपा के प्रदेश में सबसे बड़े चेहरे यानी सीएम योगी आदित्यनाथ को मात देने के लिए लामबंदी होने लगी है. सपा, बसपा, कांग्रेस और आसपा ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 20, 2022 2:31 PM

Lucknow News: उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव 2022 अब रोचक होता जा रहा है. प्रदेश में भाजपा की हार के लिए सारे विपक्षी दल एकजुट हो गए हैं. वे किसी भी हाल में सीएम योगी आदित्यनाथ को दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचने देना चाहते. पेश है एक खास रिपोर्ट…

हाल ही में योगी आदित्यनाथ के विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा पर पार्टी आलाकमान की ओर से मुहर लगाई गई थी. इसमें उन्हें गोरखपुर सदर से उम्मीदवारी के लिए घोषित किया गया था. इसके बाद सीएम योगी के चलते यह सीट वीआईपी सीट में शुमार हो गई. अब इस सीट पर भाजपा के प्रदेश में सबसे बड़े चेहरे को मात देने के लिए लामबंदी होने लगी है. सपा, बसपा, कांग्रेस और आसपा ने अपनी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.

गुरुवार को इसी क्रम में आजाद समाज पार्टी (आसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने इसी सीट से अपनी उम्मीदवारी घोषित कर दी है. सीएम योगी को इस सीट पर दांव देने के लिए दूसरे दल भी पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि सीएम योगी को गोरखपुर से विधानसभा चुनाव लड़ाने के पीछे भाजपा की रणनीति गोरखपुर-बस्ती मंडल में 2017 का प्रदर्शन दोहराने की है. इन दोनों मंडलों में 41 सीटें हैं. इनमें से 35 पर 2017 में भाजपा ने जीत हासिल की थी. वहीं, दो सीटें भाजपा के सहयोगी दलों को मिली थीं.

हालांकि, बसपा, कांग्रेस और सपा की ओर से इस सीट पर अभी किसी भी नाम की घोषणा नहीं की जा रही है. सभी यहां के राजनीतिक इतिहास को देखते हुए प्रत्याशियों के नामों पर मंथन कर रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव की करें तो गोरखपुर मंडल की 28 सीटों में से 23 पर बीजेपी का कब्जा रहा है. सीएम योगी आदित्यनाथ का गृह मंडल होने की वजह से पार्टी और सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर है. गोरखपुर सदर विधानसभा सीट पर पिछले 33 सालों से भगवा का कब्‍जा है.

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पिछले 33 बरसों से कुल 8 चुनावों में से 7 बार बीजेपी और एक बार हिंदू महासभा के उम्‍मीदवार ने जीत हासिल की है. खास बात यह है कि इस इसमें सीएम योगी आदित्यनाथ का ही बहुत बड़ा सहयोग रहा है. वर्ष 2002 में इस सीट से डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल हिंदू महासभा से जीते लेकिन जीतने के बाद ही वह भाजपा में शामिल हो गए. उसी समय से वे लगातार इस सीट से जीतते आ रहे हैं.

गोरखपुर मंडल में ब्राह्मण, पाल व ठाकुर, यादव, मुस्लिम, निषाद और सैंथवार की जातीय समीकरण हैं. ऐस में सभी दलों ने इस जातीय समीकरण को देखते हुए ही प्रत्याशियों के नामों पर मंथन कर रहे हैं. गौरतलब है कि यूपी में 7 चरणों में 7 फरवरी से लेकर 10 मार्च तक मतदान होने हैं. वहीं, चुनाव के नतीजे 10 मार्च को घोषित किए जाएंगे.

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