Lucknow: झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब के बाद हिमाचल प्रदेश में भी पुरानी पेंशन (Old Pension) की बहाली होने जा रही है. नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने शपथ लेने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में पुरानी पेंशन लागू करने की घोषणा की है. ये 5वां राज्य हैं जहां पुरानी पेंशन लागू होने जा रही है. खास बात यह है कि ये सभी राज्य गैर बीजेपी शासित हैं.
पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर आंदोलन की शुरुआत लखनऊ से विजय कुमार बंधु (Vijay Kumar Bandhu) के नेतृत्व में कर्मचारियों ने की थी. आज उनके इस आंदोलन का असर देश भर में देखने को मिल रहा है. राज्य कर्मचारियों के बाद यह पुरानी पेंशन बहाली का आंदोलन अब रेवले कर्मचारियों तक पहुंच गया है. रेल कर्मचारियों ने झारखंड के धनबाद में एक सभा का आयोजन किया है. इसमें भी विजय बंधु मुख्य अतिथि हैं.
Also Read: Old Pension: क्या बिहार में भी बहाल होगी पुरानी पेंशन, झारखंड में बहाली के बाद सरगर्मी बढ़ी, आंदोलन तेज
अटेवा के प्रदेश मीडिया प्रभारी व राष्ट्रीय प्रवक्ता NMOPS डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि पुरानी पेंशन बहाली का आंदोलन यूपी में 2013 में शुरू किया गया था. अब यह आंदोलन एनएमओपीएस (NMOPS) के रूप में पूरे देश में फैल गया है. इसी का परिणाम है कि राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब के बाद हिमाचल प्रदेश में भी पुरानी पेंशन लागू होने जा रही है.
पुरानी पेंशन बहाली के लिये देशभर में एकजुट होते कर्मचारियों का मूड कांग्रेस ने भांप लिया है. यही कारण है कि उसने हिमाचल प्रदेश में खुलकर पुरानी पेंशन बहाली का समर्थन किया था. इसका फायदा उन्हें विधानसभा चुनाव में मिला और कांग्रेस की सरकार हिमाचल प्रदेश में बन गयी है. इससे पहले छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने पुरानी पेंशन बहाली कर दी थी. इससे हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को यह भरोसा हो गया कि कांग्रेस पुरानी पेंशन जरूर लागू करेगी.
यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने पुरानी पेंशन लागू करने का वादा किया था. इसका फायदा उन्हें कमजोर रणनीति के कारण पूरी तरह से नहीं मिल पाया. लेकिन बैलेट वोटिंग में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को पछाड़ दिया था. इससे अनुमान लगाया गया था कि कर्मचारियों ने सपा के पक्ष में वोट किया. इसके बावजूद सपा सरकार नहीं बना पायी थी. हालांकि इस विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का वोट प्रतिशत जरूर बढ़ गया था.