पद्मश्री डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र नहीं रहे, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के शिष्य का ऐसा रहा है करियर
पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार और पत्रकार डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र अब इस दुनिया में नहीं हैं. कार्तिक शुक्ल सप्तमी संवत 1989 (सन् 1939) को जन्मे कृष्ण बिहारी मिश्र का फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी संवत् 2076 (सन् 2023) को कोलकाता में निधन हो गया.
पद्मश्री से सम्मानित साहित्यकार और पत्रकार डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र अब इस दुनिया में नहीं हैं. कार्तिक शुक्ल सप्तमी संवत 1989 (सन् 1939) को जन्मे कृष्ण बिहारी मिश्र का फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी संवत् 2076 (सन् 2023) को कोलकाता में निधन हो गया. कोलकाता के बेलियाघाटा स्थित निवास स्थान 7बी, हरिमोहन राय लेन में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके बड़े बेटे कमलेश मिश्र ने प्रभात खबर (prabhatkhabar.com) को बताया कि सुबह 11 बजे बाबू जी की शवयात्रा निकलेगी. गंगा के तट पर स्थित नीमतल्ला घाट में उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा. उन्होंने बताया कि रात को करीब साढ़े 12 बजे डॉ मिश्र का निधन हुआ.
उत्तर प्रदेश के बलिया जिला के मूल निवासी डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र
उत्तर प्रदेश के बलिया स्थित बलिहार गांव में बबुना देवी और घनश्याम मिश्र के घर जन्मे कृष्ण बिहारी मिश्र अपनी माता-पिता की एकमात्र संतान थे. गांव की पाठशाला में उनका शुरुआती पठन-पाठन हुआ. इसके बाद गोरखपुर के मिशन स्कूल, काशी हिंदू विश्वविद्यालय और कलकत्ता विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा हासिल की. आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र और आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी सरीखे विद्वानों के अलावा आचार्य नंददुलारे वाजपेयी एवं आचार्य चंद्रबली जैसे प्रकांड पंडितों का सान्निध्य इन्हें मिला.
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लंबे समय तक कलकत्ता विश्वविद्यालय में किया अध्यापन का काम
डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र ने हिंदी पत्रकारिता विषयक अनुशीलन पर कलकत्ता विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. लंबे अरसे तक उन्होंने अध्यापन का काम किया. कलकत्ता विश्वविद्यालय (अब कोलकाता विश्वविद्यालय) से संद्ध बंगवासी मॉर्निंग कॉलेज से 30 जून 1996 को रिटायर हुए. देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और सरकारी विद्या-प्रतिष्ठानों के सारस्वत प्रसंगों में सक्रिय भूमिका निभायी. अनेक राष्ट्रीय अंर्राष्ट्रीय विचार-गोष्ठियों में उन्होंने भागीदारी की. अपनी पीढ़ी के जाने-माने ललित निबंधकार थे.
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डॉक्टर कृष्ण बिहारी मिश्र की प्रमुख कृतियां
डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र ने कई विषयों पर कलम चलायी थी. पत्रकारिता पर उनकी कई किताबें आयीं, तो ललित निबंध-संग्रह की भी अच्छी-खासी संख्या रही. उनकी कुछ प्रमुख कृतियां इस प्रकार हैं :
पत्रकारिता
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हिंदी पत्रकारिता जातीय चेतना और खड़ी बोली साहित्य की निर्माण भूमि पत्रकारिता : इतिहास और प्रश्न
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हिंदी पत्रकारिता जातीय अस्मिता की जागरण भूमिका : गणेश शंकर विद्यार्थी
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हिंदी पत्रकारिता : राजस्थानी आयोजन की कृती भूमिका
ललित निबंध-संग्रह
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बेहया का जंगल
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मकान उठ रहे हैं
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आंगन की तलाश
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अराजक उल्लास
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गौरैया ससुराल गयी
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विरल सारस्वत साधना
विचार-प्रधान निबंध संग्रह
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आस्था और मूल्यों का संक्रमण
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आलोक पंचा (रम्य विधा में विचाराभिव्यक्ति)
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सम्बुद्धि (राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय विचार गोष्ठी में पठित आलेख)
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सांझ की जम्हाई और सर्जनशील उजास
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मूल्य मीमांसा
संस्मरण-पुस्तक
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नेह के नाते अनेक
जीवनी
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कल्पतरु की उत्सव लीला (परमहंस रामकृष्ण देव के लीला-प्रसंग पर केन्द्रित पुस्तक)
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न मेधया
समीक्षा
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परंपरा का पुरुषार्थ
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हिंदी साहित्य की इतिहास कथा
संपादन
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हिंदी साहित्य : बंगीय भूमिका
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श्रेष्ठ ललित निबंध (12 भाषाओं के प्रतिनिधि ललित निबंधों का दो खण्डों में संकलन) कलकत्ता-87
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नवाग्रह (कविता संकलन)
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समिधा (त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका)
अनुवाद
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भगवान बुद्ध (यूनू की अंग्रेजी पुस्तक का अनुवाद, कलकत्ता विवि से प्रकाशित)
सम्मान
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साहित्य और शिक्षा में योगदान के लिए पद्मश्री से अलंकृत
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ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी पुरस्कार से सम्मानित
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विद्याकर्म की महत्ता को स्वीकृति देते ‘माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय’ द्वारा डीलिट् की मानद उपाधि से प्रथम दीक्षांत समारोह में सम्मानित.
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श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय के डॉ हेडगेवार प्रज्ञा पुरस्कार से सम्मानित.
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उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के साहित्य भूषण सम्मान और महात्मा गांधी पुरस्कार से सम्मानित.
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विद्याश्री न्यास द्वारा स्थापित प्रथम विद्यानिवास मिश्र स्मृति सम्मान से विभूषित.
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