Kumar Vishwas Poems: कवि कुमार विश्वास का बर्थडे आज, यहां पढ़ें उनकी प्रेमभरी हिंदी कविताएं…

Kumar Vishwas Poems: मशहूर कवि डॉ. कुमार विश्वास को भला कौन नहीं जानता होगा. कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है. मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है. इन पंक्तियों को रचने वाले कवि कुमार विश्वास का आज जन्मदिन है. आइए पढ़ते हैं कुमार विश्वास की प्रेम भरी हिंदी कविताओं को.

By Shweta Pandey | February 10, 2023 10:36 AM

Kumar Vishwas Poems: मशहूर कवि डॉ. कुमार विश्वास को भला कौन नहीं जानता होगा. कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है. मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है. इन पंक्तियों को रचने वाले कवि कुमार विश्वास का आज जन्मदिन है. आइए पढ़ते हैं कुमार विश्वास की प्रेम भरी हिंदी कविताओं को.

कुमार विश्वास का आज बर्थडे

कुमार विश्वास का जन्म 10 फरवरी 1970 को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के पिलखुवा में हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई पिलखुवा के लाला गंगा सहाय विद्यालय में हुई थी. कुमार विश्वास के पिता की इच्छा थी कि उनका बेटा कवि बने. आज के समय में कुमार विश्वास देश के सबसे मशहूर कवि हैं. यह रही उनकी मशहूर रचनाएं.

ये हैं कुमार विश्वास की मशहूर कविताएं…

तुम से कौन कहेगा आकर?

कितनी रात ढलीं बिन चंदा

कितने दिन बिन सूरज बीते

कैसे तड़प-तड़प कर बिखरे

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भरी आंख में सपने रीते

कौन पिये और कैसे खाए

मन को जब जोगी भा जाए

तुम को कौन सिखाये भा भार?

तुम से कौन कहेगा आकर?

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उन घावों की अमर कहानी

जिन के आखर पानी-पानी

उन यादों की आपबिताई

जिन की चूनर धानी-धानी

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तुम को कहां मिलेगा अवसर

कुछ पल रोम-रोम में बस कर

हम सा कोई सुनाये गाकर?

तुम से कौन कहेगा आकर?

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चंदा रे…..

चंदा रे! ग़ुस्सा मत होना!
ज़ालिम था वो घना अँधेरा
जिसने मेरा आँगन घेरा
बनते-बनते फिर से बिखरा

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तेरे द्वारे का पगफेरा
शायद कोई फेंक रहा है
तुझ पर, मुझ पर जादू-टोना
चंदा रे! ग़ुस्सा मत होना!
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अब तुझसे क्या राज़ छिपाऊँ
तुझसे ही चाँदनी कहाऊँ
सूरज बुझता हो बुझ जाए
तेरे छिपने से घबराऊँ!
तुझसे, मुझसे ही रोशन है
धरा-सेज का कोना-कोना!
चंदा रे! ग़ुस्सा मत होना!

कोई दीवाना कहता है…….

कोई दीवाना कहता है

कोई दीवाना कहता है

कोई पागल समझता है,

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मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!

मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !

ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

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मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !

कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!

यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !

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जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता !

यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!

मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !

जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!

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भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा!

हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!

अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!

मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!

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