अयोध्या पहुंचे कवि कुमार विश्वास का बड़ा बयान, कहा- पूरी हो रही है शताब्दियों की तपस्या
हिन्दी के प्रख्यात मंचीय कवि और राम कथावाचक कुमार विश्वास ने सोमवार को अयोध्या पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि नवनिर्मित मंदिर में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले उनका दर्शन करके वे खुद को सौभाग्यशाली अनुभव कर रहे हैं.
कृष्ण प्रताप सिंह
हिन्दी के प्रख्यात मंचीय कवि और राम कथावाचक कुमार विश्वास ने सोमवार को यहां कहा कि नवनिर्मित मंदिर में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले उनकी राजधानी में उनका दर्शन करके वे खुद को उतना ही सौभाग्यशाली अनुभव कर रहे है, जितना 15 अगस्त, 1947 को आजादी की पहली सुबह देखने वाले देशवासियों ने खुद को अनुभव किया होगा. उनके इस कथन को श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के पिछले दिनों के उस बयान के सिलसिले में देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने प्राणप्रतिष्ठा के लिए तय 22 जनवरी की तिथि को 1947 में आजादी पाने, 1971 में पाकिस्तान के एक लाख सैनिकों का आत्मसमर्पण कराने और 1999 में कारगिल को उसके कब्जे से वापस प्राप्त करने जितनी महत्वपूर्ण बताया था.
बहरहाल, विश्वास अयोध्या पहुंचकर सबसे पहले सरयू तट गए, जहां उन्होंने धार्मिक परंपराओं के अनुसार उसका पूजन किया. फिर रामलला के दर्शन से पहले हनुमानगढ़ी गये. ज्ञातव्य है कि अयोध्या में ‘राम ते प्रथम राम कर दासा’ की परम्परा है और श्रद्धालु भगवान राम के दर्शन-पूजन से पहले हनुमानगढ़ी जाया करते हैं. अनंतर, कुमार विश्वास ने एक बयान में कहा कि अयोध्या भगवान राम की ही नहीं, स्वायंभुव मनु की भी राजधानी रही है और किसी भी मनुष्य के लिए उसकी यात्रा पुण्यदायिनी व मोक्षदायिनी होती है.
उन्होंने यह भी कहा कि वे विवादित ढांचे में भी रामलला के दर्शन कर चुके हैं. तब भी जब वे टेंट में थे और तब भी उनके दर्शन किए थे, जब सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में अपना अंतिम फैसला दिया. अब मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा से पहले भी उनके दर्शन कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.उन्होंने इस बात को लेकर दुःख जताया कि आजादी के बाद देश में लोकतंत्र आने के बाद भी भगवान राम की जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण विवाद और उसे लेकर राजनीति का विषय बना रहा. फिर कहा, बेहतर होता कि इससे जुडे विवाद का पारस्परिक सहमति से हल होता और उसके सारे पक्ष खुद ही रामलला का स्थान उनके लिए छोड़ देते. लेकिन यह भी कम नहीं कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के रूप में कई शताब्दियों की तपस्या पूरी हो रही है.
उस मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा मेरे निकट सबसे बड़े सौभाग्य का क्षण है. विपक्षी नेताओं को प्राणप्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण से जुड़े सवालों का जवाब देने से उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि वे राजनीति से जुड़े सवालों के उत्तर नहीं देंगे. उन्होंने कहा कि मथुरा, काशी और अयोध्या तीन ऐसी जगहें है, जहां तीन देवता निवास करते हैं. इनमें अयोध्या की बात करें तो पहले की अयोध्या और आज की अयोध्या में जमीन आसमान का अंतर है, क्योंकि अब अयोध्या तेज विकास की प्रक्रिया में शामिल होकर भगवान राम के लिए सज-संवर रही है. पहले, अयोध्या की उपेक्षा के दिनों में उसे देखकर मन बहुत दुखी हो जाता था.