UP Politics: बसपा जन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाएगी मायावती का जन्मदिन, 50 फीसदी युवाओं को जोड़ने का प्लान
बसपा के पास दलित में सिर्फ जाटव बचा है. मगर, दलित में बाल्मीकि, धोबी, खटीक, पासी आदि वोट बड़ी संख्या में भाजपा और कुछ सपा के साथ चला गया. लेकिन, अब बसपा प्रमुख मायावती दलित वोट को लेकर फिक्रमंद हैं. वह दलित युवाओं को जोड़ने की कोशिश में जुटी हैं.
Bareilly: बहुजन समाज पार्टी मिशन 2024 की तैयारियों में जुट गई है. इसी कड़ी में पार्टी सुप्रीमो मायावती का 15 जनवरी को 67वां जन्मदिन कल्याणकारी दिवस के रूप में मनाया जाएगा. बरेली समेत यूपी के सभी 75 जिलों में कल्याणकारी दिवस के जरिए पार्टी अपने सियासी एजेंडे को धार देगी. बीएसपी चीफ ने युवाओं के लिए एक बड़ा एलान करने का फैसला लिया है.
मिशन 2024 चुनाव को लेकर मायावती एक्शन मिशन मोड में हैं और उन्होंने बीएसपी में 50 प्रतिशत युवाओं की भागीदारी का फैसला किया है. इसके लिए मायावती ने अपने भतीजे एवं बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को जिम्मेदारी सौंपी है. राष्ट्रीय युवा दिवस पर बसपा के नेशनल कॉर्डिनेटर आकाश आनंद ने ट्वीट भी किया था.
इसमें “एक मजबूत देश बनाने और जातीय अत्याचार खत्म करने के लिए युवाओं के आगे आने की बात लिखी थी. इसीलिए मिशन की सफलता के लिए बीएसपी चीफ ने 50 प्रतिशत युवाओं की भागीदारी का आह्वान किया है. युवा ही बीएसपी और देश का भविष्य है. राष्ट्रीय युवा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.” इसके साथ ही आकाश आनंद दलित-पिछड़ों को जुटाने में लगे हुए हैं, वहीं यूपी में अपने जनाधार के लिए संघर्ष कर रही बसपा अपनी नई रणनीति पर काम करने में जुट गई है
हर जिले में जन्मदिन पर समारोह
बीएसपी चीफ मायावती के जन्मदिन से पहले ही कैलाश खैर ने गाना गाया है. यह गाना 15 जनवरी पर रिलीज किया जाएगा. बसपा नेता जगदीश प्रसाद ने बताया कि बहनजी के जन्मदिन पर समारोह पार्टी कार्यालय पर आयोजित किया जाएगा, पार्टी कार्यकर्ता केक काटने और उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के लिए जिला कार्यालयों में इकट्ठा होंगे.
दलित युवाओं पर फोकस
बसपा का बेस वोट दलित रहा है. पार्टी का गठन 14 अप्रैल 1984 को अंबेडकर विचारधारा पर हुआ था. मगर, कुछ वर्षों से बसपा से दलितों का मोहभंग होने लगा है. यूपी में 22 फीसद से अधिक दलित मतदाता हैं. लेकिन, यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बसपा को सिर्फ 13 फीसदी वोट मिले हैं, जिसके चलते एक ही विधायक बना है. इससे साफ जाहिर है कि बसपा के पास दलित में सिर्फ जाटव बचा है. मगर, दलित में बाल्मीकि, धोबी, खटीक, पासी आदि वोट बड़ी संख्या में भाजपा और कुछ सपा के साथ चला गया. लेकिन, अब बसपा प्रमुख मायावती दलित वोट को लेकर फिक्रमंद हैं. वह दलित युवाओं को जोड़ने की कोशिश में जुटी हैं.
मुस्लिम-पिछड़ों को भी तरजीह
बसपा प्रमुख मुस्लिमों के साथ ही पिछड़ों को जोड़ने की कोशिश में लगी हैं. इसलिए कई मुस्लिम नेताओं को शामिल किया है. उनको निकाय चुनाव में मेयर का टिकट भी दिया जाएगा.
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खतरे में है राष्ट्रीय दल का दर्जा
बसपा का वोट प्रतिशत लगातार गिरता जा रहा है. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में 1993 के बाद सबसे कम मत (वोट) मिले हैं. यह घटकर सिर्फ 13 फीसद रह गए हैं. इससे पार्टी काफी खराब दौर में पहुंच गई है. दिल्ली एमसीडी चुनाव में एक फीसद से कम वोट मिले हैं. बीएसपी का ग्राफ 2012 यूपी विधानसभा चुनाव से गिर रहा है.
2017 में बीएसपी 22.24 प्रतिशत वोटों के साथ सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई थी. हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत में इजाफा नहीं हुआ. लेकिन, एसपी के साथ गठबंधन का फायदा मिला और 10 लोकसभा सीटें पार्टी ने जीतीं थीं. ऐसे में बीएसपी की आगे की राजनीतिक राह काफी मुश्किल है. वह राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा नहीं बचा पाएगी. इसके साथ ही विधानमंडल से लेकर संसद तक में प्रतिनिधित्व का संकट खड़ा हो गया है.