प्रशांत किशोर विधानसभा चुनावों में देंगे कांग्रेस का साथ या पकड़ेंगे अलग राह ?
साल 2022 में होने वाले चुनावों में अगर राजनीतिक पार्टियों से ज्यादा किसी की चर्चा है तो वह हैं रणनीतिकार प्रशांत किशोर. सभी की निगाहें इस ओर टिकी हुई है कि इस बार के चुनाव में आखिरकार प्रशांत किशोर किसके पाले में रहकर जीत दिलाएंगे.
साल 2022 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, पंजाब और मणिपुर में चुनाव होने है. जिसको लेकर सभी पार्टियों ने कमर कस ली है. इस बार के चुनाव में राजनैतिक पार्टियों के रणनीति से ज्यादा प्रशांत किशोर की रणनीति पर सभी लोगों की निगाहें टिकी हुई है. सभी लोग यह जानना चाहते हैं कि आखिर प्रशांत किशोर किसके पाले से रहेंगे.
राजनीतिक पार्टियों के गलियारें में प्रशांत किशोर को लेकर चर्चाएं तब तेज हुई, जब उन्होंने राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और दूसरे विपक्षी नेताओं के साथ मुलाकात की. तब से ऐसे कयास लगायी जा रही थी कि वे कांग्रेस के प्रोफेशनक सलाहकार के तौर पर नजर आ सकते हैं.
ब्रेक पर चल रहे हैं प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को मिली जीत में अहम भूमिका निभाई थी. इस जीत के बाद ही उन्होंने ब्रेस पर जाने का फैसला लिया. कहा चा रहा है कि 2022 के चुनाव में वह किसी भी पार्टी में हिस्सा नहीं लेंगे.
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लोकसभा चुनाव में सकती है वापसी
जानकारी के अनुसार प्रशांत किशोर अब साल 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के साथ नजर आ सकते हैं. बता दें कि अभी तक पीके बीजेपी, जेडीयू, टीएमसी, कांग्रेस, सपा जैसी पार्टियों समेत कई दलों के लिए सेवाएं दे चुके हैं.
इन नारों से प्रसिद्ध थे प्रशांत किशोर
रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की चर्चा तब शुरू हुई थी, जब देश में ‘अबकी बार मोदी सरकार’ का नारा जन-जन के जुबां पर गुंजा था. यही नहीं उन्होंने ‘बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है’ जैसा स्लोगन भी दिया, जिससे बिहार में नीतीश कुमार की जीत हुई. ‘चाय पर चर्चा’, थ्रीडी में भाषण जैसे प्रयोग पीके ने ही किए. प्रशांत किशोर जब जिस भी पार्टी के साथ खड़े हुए, उसकी जीत जरूर हुई.
कौन है प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर का जन्म रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ. उनके पिता पेशे से एक डॉक्टर थे. बचपन से कुछ करने की चाह से वह स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू कर दिया और देखते ही देखते भाजपा सरकार में किसी भी कार्यालय को पकड़े बिना, किशोर भाजपा के चुनाव-पूर्व अभियान में प्रमुख रणनीतिकारों में से एक बन गए
प्रशांत किशोर का राजनीतिक कैरियर
प्रशांत किशोर के राजनीतिक कैरियर की बात करे तो उन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चुनावी रणनीतिकार के रूप में काम किया है. उनका पहला प्रमुख राजनीतिक अभियान 2011 में नरेंद्र मोदी की मदद करने के लिए था. बाद में उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत से जीतने में सहायता की. साल 2015 में वो नीतीश कुमार और लालू यादव को साथ रहकर महागठबंधन बनाने में सफल रहे थे. वहीं आखिरी बार पश्चिम बंगाल चुनाव में ममता बनर्जी के साथ आए और उन्हें जबरदस्त जीत दिलाई.
Posted By Ashish Lata