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गर्भवती महिला ने दो बच्चों के साथ किया आत्मदाह, कोरोना मरीज समझ कोई नहीं गया बचाने

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की शिकारपुर कोतवाली क्षेत्र में एक गर्भवती महिला ने अपने 2 बच्चों के साथ आत्मदाह कर लिया. महिला ने मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा ली. वह चीखती रही और पड़ोसियों ने कोरोना मरीज समझकर बचाने की कोशिश नहीं की. चीख सुनकर पति घर से बाहर निकला, तब तक मां-बेटे लपटों में घिर चुके थे.

By Radheshyam Kushwaha | April 4, 2020 10:46 AM

बुलंदशहर. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की शिकारपुर कोतवाली क्षेत्र में एक गर्भवती महिला ने अपने 2 बच्चों के साथ आत्मदाह कर लिया. महिला ने मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा ली. वह चीखती रही और पड़ोसियों ने कोरोना मरीज समझकर बचाने की कोशिश नहीं की. चीख सुनकर पति घर से बाहर निकला, तब तक मां-बेटे लपटों में घिर चुके थे. दोनों की मौके पर ही मौत हो गई. पुलिस ने उसके पति को गिरफ्तार कर लिया है. बुलंदशहर के बरोली गांव निवासी विक्रम रोहतक में एक कंपनी में काम करता है. लॉकडाउन की वजह से वह अभी अपने घर आया था. किसी बात को लेकर मंगलवार दोपहर पति-पत्नी के बीच विवाद हुआ.

आरोप है कि विवाद बढ़ने पर विक्रम की पत्नी पुष्पा (30) ने खुद पर और अपने 5 व 7 साल के बच्चे पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा ली. झगड़े की वजह से विक्रम घर के अंदर ही था. बाहर हुआ घटनाक्रम आसपास के कई लोग देख रहे थे. उन्होंने पुष्पा और उनके दोनों बच्चों को बचाने की कोशिश नहीं की. बाद में पता चला कि आसपास के लोगों ने परिवार को कोरोना का मरीज समझकर पास जाने की जहमत नहीं उठाई. पुष्पा की चीख और लोगों का शोर सुनकर विक्रम घर से बाहर निकला तब तक पत्नी और बच्चे आग की लपटों में घिर चुके थे. उसने आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन तब तक तीनों की मौत हो गयी. सीओ गोपाल सिंह ने बताया कि महिला के मायके वालों की शिकायत पर केस दर्ज कर उसके पति विक्रम को गिरफ्तार किया गया है.

कोरोना के डर से मरीज के पास नहीं गये डॉक्टर, मौत

गोरखपुर में बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में बुखार व सांस फूलने वाले मरीजों के पास जाने से डॉक्टर परहेज करने लगे हैं. मेडिसिन वार्ड में भर्ती खजनी के नगवा जैतपुर की 18 वर्षीय युवती अंकिता यादव ने इसलिए दम तोड़ दिया कि डॉक्टर उसे देखने नहीं गये. उसे बुखार के साथ सीने में संक्रमण व सांस लेने में दिक्कत थी. परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर उसे कोरोना संक्रमित समझकर उसके पास आ ही नहीं रहे थे. बुधवार को दोपहर में परिजन उसे लेकर मेडिकल कॉलेज पहुंचे. पिता रामा यादव ने बताया कि बेटी दो दिन भर्ती रही. भर्ती के दौरान डॉक्टर और नर्स से कई बार जाकर बताया कि उसकी तबीयत बिगड़ रही है. इस पर भी कोई देखने नहीं पहुंचा. डॉक्टर व नर्स दूर से ही देख रही थीं. उनको यह भय सता रहा था कि कहीं यह कोरोना संक्रमित तो नहीं है. परिजन गुडडू यादव ने यह आरोप लगाया कि डॉक्टरों को लग रहा था कि यह कोरोना संक्रमित है, बावजूद इसके उसका सैंपल नहीं लिया गया. मेडिसिन विभागाध्यक्ष, डॉ. महिम मित्तल ने बताया कि हमारी पूरी टीम सभी मरीजों की ठीक से देखभाल कर रही है. परिजनों का आरोप गलत हैं.

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