यूपी के शहरों में हाउस टैक्स बढ़ाने की हो रही तैयारी, मेयर और पार्षद दर बढ़ाने-घटाने के दायरे से बाहर
दरअसल, नगर निगम अधिनियम में हर दो वर्ष में टैक्स बढ़ाने का प्रावधान है. कार्यकारिणी और सदन की मंजूरी के बाद टैक्स बढ़ सकता है. सूत्रों के मुताबिक, अब ऐसी व्यवस्था बनाने की तैयारी है, जिससे हर दो वर्ष में गृहकर रिवाइज किया जा सकेगा. पार्षदों तथा महापौर का टैक्स बढ़ाने में कोई दखल नहीं होगा.
UP Nagar Nigam News: नगर निगमों में गृहकर बढ़ाने की तैयारी है. इसी के साथ टैक्स बढ़ाने के मामले में महापौर और पार्षदों की दखलंदाजी भी खत्म करने की तैयारी की जा रही है. नगर निगमों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाने के लिए शासन ने ठोस पहल की है. इसके लिए प्रमुख सचिव नगर विकास की अध्यक्षता में 13 अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय कमेटी बना दी गई है.
दो वर्ष में गृहकर रिवाइज किया जा सकेगा
दरअसल, नगर निगम अधिनियम में हर दो वर्ष में टैक्स बढ़ाने का प्रावधान है. कार्यकारिणी और सदन की मंजूरी के बाद टैक्स बढ़ सकता है. सूत्रों के मुताबिक, अब ऐसी व्यवस्था बनाने की तैयारी है, जिससे हर दो वर्ष में गृहकर रिवाइज किया जा सकेगा. पार्षदों तथा महापौर का टैक्स बढ़ाने में कोई दखल नहीं होगा. लखनऊ के पॉश इलाके गोमती नगर में करीब 1000 वर्ग फीट में मकान बनाने वालों को अभी सालाना लगभग दो हजार रुपये गृहकर देना पड़ता है. दरें बढ़ने के बाद लोगों को 4000 रुपये तक टैक्स देना पड़ेगा. आलमबाग में 1000 फीट में मकान बनाने वाले को अभी लगभग सालाना 1200 रुपये टैक्स देने पड़ते हैं जो बढ़कर लगभग 2400 रुपए हो जाएगा.
वर्ष 2018-19 में गृहकर बढ़ाने का आया था प्रस्ताव
इसके लिए प्रमुख सचिव नगर विकास की अध्यक्षता में 13 अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय कमेटी बना दी गई है. कमेटी नगर निगमों की आय बढ़ाने के स्रोत और तौर तरीकों पर रिपोर्ट देगी. फिलहाल, प्रदेश के सभी नगर निगमों की आर्थिक स्थिति कमजोर है. नवगठित समिति पूरे प्रदेश मे टैक्स बढ़ाने की योजना पर काम करेगी. हालांकि समिति टैक्स के साथ-साथ आय के अन्य स्रोत भी तलाशेगी. इससे नगर निगमों को आर्थिक रूप से संपन्न बनाया जा सके. लखनऊ नगर निगम में पिछले 12 वर्षों से हाउस टैक्स नहीं बढ़ा है. वर्ष 2018-19 में गृहकर बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार हुआ था.