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‘सिटी ऑफ नॉलेज’ के रूप में विकसित होगा गोरखपुर, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दो विश्वविद्यालयों की शुरुआत की

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का लोकार्पण किया. इन विश्वविद्यालयों से आसपास के जिलों के युवा भी पढ़ाई कर सकेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 28, 2021 10:04 PM

President Ram Nath Kovind in UP: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का लोकार्पण किया. इस दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहे. गोरखनाथ विश्वविद्यालय के लोकार्पण समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि स्वामी विवेकानंद कहते थे कि उन्हें ऐसी शिक्षा चाहिए, जिससे चरित्र बने, मानसिक बल बढ़े, बुद्धि का विकास हो और जिससे मनुष्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके. महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् द्वारा संचालित संस्थाओं में विद्यार्थियों को अत्‍याधुनिक ज्ञान-विज्ञान की शिक्षा देने के साथ-साथ उनके समग्र व्‍यक्तित्‍व के विकास पर बल दिया जाता है.

गोरखपुर को ‘सिटी ऑफ नॉलेज’ बनाने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, अपनी पिछली गोरखपुर यात्रा के दौरान 10 दिसम्‍बर 2018 को महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् के संस्‍थापक सप्‍ताह समारोह में मैंने यह विश्‍वास प्रकट किया था कि गोरखपुर को ‘सिटी ऑफ नॉलेज’ के रूप में विकसित करने का लक्ष्‍य प्राप्‍त किया जाएगा. मेरे लिए यह संतोष का विषय है कि श्री गोरक्षपीठ और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् ने संकल्‍पपूर्वक आगे बढ़ते हुए गोरखपुर में महायोगी गोरखनाथ विश्‍वविद्यालय का निर्माण करके इस दिशा में उल्‍लेखनीय प्रगति की है.

भगवान शिव के अवतार थे महायोगी श्री गोरखनाथ

राष्ट्रपति ने कहा, ऐसी मान्‍यता है कि महायोगी श्री गोरखनाथ स्‍वयं भगवान शिव के अवतार थे. उनकी तपस्‍थली गोरक्षपीठ, सदियों से भारत के सामाजिक-धार्मिक जागरण में विशिष्ट भूमिका निभाती रही है. भारत के स्‍वाधीनता आन्‍दोलन के दौरान इस पीठ ने राजनीतिक पुनर्जागरण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई. आज के समय में भी श्री गोरक्षपीठ जनजागरण, जनसेवा, शिक्षा और चिकित्‍सा सेवा का केन्‍द्र बनी हुई है.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर के उद्घाटन समारोह में कहा कि महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के लोगो (प्रतीक चिह्न) में ऋग्वेद के पंचम मंडल का मंत्र ‘स्वस्ति पंथामनुचरेम’ संस्था का उद्देश्य स्पष्ट कर देता है. यानी हम सब सूर्य और चंद्र की तरह लोकमंगल गामी बनें. लोक कल्याण के पथ के अनुगामी बनें. यानी हम सबका ध्येय लोगों का कल्याण होना चाहिए.

शोध कार्य के साथ लोगों को मिलेगा इलाज

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब पूरी दुनिया कोरोना से पस्त है तो अपने चरणेति चरणेति मंत्र को साकार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस देश को नई शिक्षा नीति दी, जिसकी संकल्पना को साकार करने के लिए ही गोरक्षपीठ श्रीगोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट इस अभियान का हिस्सा बन कर कार्यक्रम को आगे बढ़ा रही है. उन्होंने कहा कि यह विवि अपने पहले ही शिक्षा सत्र में नर्सिंग के विभिन्न पाठ्यक्रमों के साथ ही आयुर्वेद और पैरामेडिकल कोर्स भी शुरू करने जा रहा है. आयुष विश्वविद्यालय में आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्धा, होम्योपैथी और योग चिकित्सा की पढ़ाई और उस पर शोध कार्य तो होगा ही, लोगों को ‘नो साइड इफेक्ट’ वाली इन पद्धतियों से इलाज की सुविधा भी मिलेगी. यही नहीं आयुष विश्वविद्यालय, औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देकर किसानों के जीवन में खुशहाली भी लाएगा.

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आयुष विश्वविद्यालय से सम्बद्ध होंगे 94 कॉलेज

बता दें, उत्तर प्रदेश में आयुष विधा के वर्तमान में 94 कॉलेज अलग-अलग विश्वविद्यालयों/ संस्थानों से संबद्ध हैं. इनमें आयुर्वेद के 67, यूनानी के 15 और होम्योपैथी के 12 कॉलेज शामिल हैं. आयुष विश्वविद्यालय के बन जाने के बाद ये सभी कॉलेज समन्वित रूप से आयुष विश्वविद्यालय से संबद्ध कर दिए जाएंगे. एक जगह संबद्धता होने से इन कॉलेजों के डिग्री व डिप्लोमा के पाठ्यक्रमों में एकरूपता रहेगी और सत्र का नियमन भी आसान होगा.

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अब तक उत्तर प्रदेश के भीतर आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, प्राकृतिक चिकित्सा, योग, सिद्धा की चिकित्सा पद्धति, जिन्हें समन्वित रूप में आयुष कहा जाता है इसके लिए अलग-अलग संस्थाएं रही हैं. मगर अब इन सभी आयुष पद्धतियों की भटहट के पिपरी स्थित प्रदेश के पहले आयुष श्विविद्यालय के एक ही परिसर में पढ़ाई होगी. करीब 299 करोड़ की लागत से 52 एकड़ में बनने वाला यह विश्वविद्यालय मार्च 2023 तक संचालित होने लगेगा.

मिशन 2022 पर नजर

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से एक साथ दो विश्वविद्यालयों का शिलान्यास व लोकार्पण कराके योगी सरकार ने जहां आगामी विधानसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ने की मंशा साफ की है, वहीं आध्यात्म से ज्ञान के एजेंडे को धार दी है. सरकार की कोशिश खास तबके के मतदाताओं में संदेश देना है कि भाजपा सरकार सबका साथ, सबका विकास व सबका विश्वास की राह पर चल रही है.

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आयुष विश्वविद्यालय पिपराइच विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण इलाके में बना है. लिहाजा, इस क्षेत्र का तेजी से विकास होगा. पिपरी जिले का सीमावर्ती गांव है, जिससे कुशीनगर और महाराजगंज जिलों की सीमाएं लगती हैं. इसी तरह महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय कैंपियरगंज विधानसभा क्षेत्र में बना है. इसकी सीमा भी महराजगंज से सटी है. ऐसे में दोनों विश्वविद्यालयों से जहां आसपास के जिलों के युवाओं को लाभ मिलेगा.

Posted by : Achyut Kumar

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