कोर्ट-कचहरी के चक्कर काट के हो चुके हैं परेशान, फटाफट निस्तारण के लिए 13 अगस्त को लगेगी जनता की अदालत
Aligarh News: अलगीढ़ में 13 अगस्त को 'जनता की अदालत लगेगी. जहां अलग-अलग मामलों का फटाफट निस्तारण हो सकेगा.
Aligarh News: अगर आप किसी केस को लेकर परेशान हैं और कोर्ट में तारीख पे तारीख लेते हुए थक चुके हैं तो ये खबर आपके लिए हैं. दरअसल, अलीगढ़ में जनता की 1 दिन की अदालत आपको एक ही दिन में न्याय दिलाएगी. इस अदालत की खासियत यह है कि यहां आए हुए वाद का निस्तारण फटाफट होता है. ऐसी लोक अदालत का आयोजन अलीगढ़ में 13 अगस्त को किया जाएगा.
13 अगस्त को लगेगी लोक अदालत
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली और यूपी विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष और जिला न्यायाधीश डॉ बब्बू सारंग के निर्देशन में लोक अदालत 13 अगस्त को लगेगी. लोक अदालत का आयोजन जिला न्यायालय, कलेक्ट्रेट स्थित अधीनस्थ न्यायालयों, वाह्य न्यायालयों, तहसील न्यायालयों में किया जाएगा.
लोक अदालत में ऐसे रखे जाते हैं मामले
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की प्रभारी सचिव आसिफा राना ने प्रभात खबर को बताया कि जो वादकारी, पक्षकार, अभियुक्त अपने मामलों का निस्तारण लोक अदालत में कराना चाहते हैं वह संबंधित न्यायालय या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में संपर्क कर सकते हैं. लोक अदालत में अधिवक्ता के माध्यम से वाद की पैरवी करने की कोई बाध्यता नहीं है.
इन मामलों की होती है सुनवाई
लोक अदालत में फौजदारी के शमनीय वाद, धारा 138 एनआईएक्ट, धन बसूली वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर वाद, श्रम वाद, विद्युत अधिनियम एवं जलकर से संबंधित वाद, पारिवारिक और वैवाहिक वाद, भूमि अर्जन अधिनियम वाद, सेवा संबंधित वाद, दीवानी मामले तथा अन्य प्रकृति के मामले जो न्यायालय में लम्बित हों. इसके अतिरिक्त प्रीलिटिगेशन स्तर पर भी बैक लोन रिकबरी, वित्तीयसंस्था, दूरभाष, मोबाइल कम्पनी आदि के भी मामलों का निस्तारण आपसी सुलह समझौता के आधार पर किया जाता है.
क्या होती है लोक अदालत
लोक अदालत का शाब्दिक अर्थ है जनता की अदालत यह अदालत 1 दिन की अदालत भी कहलाती है जहां एक दिन में ही वाद का निस्तारण किया जाता है. लोक अदालत त्वरित और कम खर्चीली न्याय की एक वैकल्पिक व्यवस्था है. स्वतंत्रता के बाद 1942 में गुजरात में पहली लोक अदालत लगाई गई थी. लोक अदालत एक ऐसा मंच है, जहां ऐसे मामले आते हैं, जो न्यायालय में लंबित हैं या अभी न्यायालय में रखे नहीं गए हैं. उनको जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में सुलह समझौता के आधार पर निस्तारित किया जाता है.
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रिपोर्ट- चमन शर्मा