Barrilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली का प्रदूषण पिछले कुछ महीनों से काफी बढ़ गया है. यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक ( AQI) खराब स्थिति में है, जो सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है. मगर, अब बरेली में प्रदूषण पर कंट्रोल करने की कोशिश शुरू हो गई है. इसके लिए 33 करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी. इसमें से 21.40 करोड़ की राशि मिल भी गई है.
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCP) परियोजना के तहत यह धनराशि बरेली को मिली है. इस राशि से नगर निगम मार्गों की मैकेनिकल स्वीपिंग, एंटीस्मोग डस्ट गन, वाटर स्प्रिंकलर, कन्स्ट्रक्शन एंड डिमोलेशन प्लांट की स्थापना, पार्कों एवं ग्रीन बेल्ट विकसित करने, पार्कों एवं ग्रीन स्पेस के रखरखाव के लिए उपकरण एवं वाहनों की आपूर्ति, मुख्य चौराहों पर प्यूरीफायर लगाने, सड़क गड्ढा मुक्त किए जाने, अधिक डस्ट वाली सड़कों पर पौधरोपण तथा सोल्डर निर्माण, वर्टिकल गार्डन विकसित करने एवं जन-जागरूकता कार्यक्रम के लिए व्यय की जाएगी.
बरेली में प्रदूषण विभाग की सिटी इंप्लीमेंटेशन कमेटी बन गई है. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम परियोजना के तहत बरेली शहर की परिवेशीय वायु गुणवत्ता के सुधार के लिए पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नगर निगम को 33 करोड़ की धनराशि आवंटित की है. इस प्रोजेक्ट कर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि अरविंद कुमार और कंसलटेंट डॉ. पुखराज साहू निगाह रखेंगे.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देश पर नगर निगम ने प्रदूषण विभाग के पोर्टल पर बरेली शहर की परिवेशीय वायु गुणवत्ता के सुधार के लिए माइक्रो प्लान तैयार कर अपलोड किया था. इसके बाद ही धनराशि आवंटित की गई है. बरेली का एक्यूआई काफी बढ़ रहा है.बरेली में टूटी सड़क, और ओवरब्रिज निर्माण के कारण धूल उड़ रही है.रोड बंद होने से वाहनों का लंबा जाम रहता है.इसलिए धूल, और धुएं से AQI बढ़ गया है.ठंड के कारण लोग घर से लेकर खुली जगह में अलाव जला रहे हैं.इससे भी प्रदूषण बढ़ रहा है.
19.5 फीसद होनी चाहिए ऑक्सीजन
इंसान को ऑक्सीजन की जरूरत होती है. इसकी कमी से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है. सांस लेने वाली हवा का ऑक्सीजन स्तर 19.5 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए. इसके नीचे जाने से नुकसान होता है.
अगर कहीं 0 से 50 AQI है, तो यह बहुत अच्छी बात है. इससे सेहत पर कम असर होता है. 51-100 AQI भी ठीक है, लेकिन संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत हो सकती है. 101 के बाद ठीक नहीं है.101 से 200 AQI से फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत होती है. 201-300 AQI काफी खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस में दिक्कत होना तय है. 301-400 AQI बहुत खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस की बीमारी का खतरा होता है .401-500 AQI सबसे अधिक खतरनाक है.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली