Bareilly News: रुहेलखंड की पीलीभीत लोकसभा सीट से भाजपा सांसद वरुण गांधी काफी समय से अपनी ही पार्टी पर हमलावर हैं. वह हर दिन केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ बयान देते हैं. जिसके चलते सांसद वरुण गांधी के कांग्रेस में जाने की चर्चा काफी समय से चल रही थी. मगर, मंगलवार को भारत जोड़ो यात्रा के पंजाब के होशियारपुर जिले में आयोजित प्रेसवार्ता में पत्रकारों ने राहुल गांधी से वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल करने का सवाल पूछा था.
इसके जवाब में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि “मैं उनसे (वरुण गांधी) से मिल सकता हूं, गले लगा सकता हूं, लेकिन मेरी विचारधारा उनकी विचारधारा से नहीं मिलती”. वह बीजेपी में है, यहां चलेंगे तो उन्हें दिक्कत आएगी. मेरी विचारधारा उनकी विचारधारा से नहीं मिलती है .मैं आरएसएस के दफ्तर में कभी नहीं जा सकता, चाहें आप मेरा गला काट सकते हैं. राहुल गांधी ने कहा कि मेरा परिवार है. उसकी एक विचारधारा है. सांसद वरुण गांधी ने एक समय में भाजपा की विचारधारा को अपनाया है, मैं उसको स्वीकार नहीं कर सकता.राहुल गांधी के बयान से वरुण गांधी के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं लगभग खत्म हो गई हैं, तो वहीं उनके सियासी भविष्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई है.
सांसद वरुण गांधी के विश्वसनीय सूत्रों की मानें, तो वह भाजपा और कांग्रेस से चुनाव नहीं लड़ेंगे. इसलिए ही भाजपा पर हमलावर रहते हैं. वह और उनकी मां पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से चुनाव लड़ेंगे. सपा गठबंधन में मां और बेटे के लिए दो सीट छोड़ेगी. वह पीलीभीत और मेनका गांधी बरेली लोकसभा से लड़ सकती हैं. इसकी भी संभावनाएं जताई जा रही हैं. क्योंकि, उनकी मां वर्ष 2009 में बरेली की आंवला लोकसभा से सांसद चुनी जा चुकीं हैं. हालांकि, वह वर्तमान में सुल्तानपुर से सांसद हैं.
वरुण गांधी की वर्ष 2009 लोकसभा चुनाव में सियासत में इंट्री हुई थी. उन्होंने पीलीभीत लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के दौरान विवादित बयान दिया था. उस वक्त यूपी में बसपा की सरकार थी. उन्होंने एक जनसभा के दौरान कहा था कि “जो हाथ तुम्हारी (हिंदुओं) तरफ उठेंगे, उनको काट दिया जाए”. इसके बाद देश भर में वरुण गांधी का बयान चर्चा बन गया था. उनके खिलाफ कार्रवाई हुई, लेकिन लंबे अंतर से चुनाव जीतकर सासंद पहुंचे.
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सांसद वरुण गांधी पर सपा का साथ देने का आरोप है. उनकी लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर उनके नजदीकी और कार्यकर्ताओं ने सपा प्रत्याशियों को ही चुनाव लड़ाया था. इसकी भी शिकायत भाजपा में हुई थी.
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काफी समय से सियासी गलियारों में एक बात चर्चा का विषय बनी हुई है. बताया जाता है कि भाजपा, गांधी परिवार की देश में सियासत ही खत्म करना चाहती है. इसीलिए वरुण गांधी को मंत्री नहीं बनाया गया था. उनकी मां को मंत्री पद से हटा दिया गया और राहुल गांधी की छवि धूमिल की गई थी. वर्तमान भाजपा गांधी होने के कारण वरुण गांधी को नजरंदाज कर रही है. इससे ही वरुण गांधी भाजपा से खफा हैं.
रिपोर्ट -मुहम्मद साजिद बरेली