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राजा महेंद्र प्रताप यूनिवर्सिटी को है फाइनेंस का इंतजार, फाइनेंस ऑफिसर की नियुक्‍त‍ि से बढ़ीं उम्‍मीदें

राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी में आगरा के कोषागार एवं पेंशन अपर निदेशक डॉ दिनेश को फाइनेंस ऑफिसर बनाया गया है. वह जल्द ही कार्यभार ग्रहण करेंगे. यूनिवर्सिटी के सचिव महेश कुमार ने बताया, फरवरी में यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए 10 लाख रुपए, मार्च में 5 लाख रुपए, मई में 6.5 लाख रुपए दिए गए थे.

By Prabhat Khabar News Desk | June 13, 2022 5:37 PM

Aligarh News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट अलीगढ़ के राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय में फाइनेंस ऑफिसर की नियुक्ति कर दी गई है. अब विश्वविद्यालय को फाइनेंस का इंतजार है. उम्‍मीद की जा रही है कि जल्‍द ही संस्‍थान को उसके विकास के लिए फाइनेंस भी उपलब्‍ध करा दिया जाएगा.

डॉ दिनेश कुमार बने फाइनेंस ऑफीसर

राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी में आगरा के कोषागार एवं पेंशन अपर निदेशक डॉ दिनेश कुमार को फाइनेंस ऑफिसर बनाया गया है. वह जल्द ही कार्यभार ग्रहण करेंगे. वहीं, यूनिवर्सिटी के सचिव महेश कुमार ने बताया कि फरवरी में यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए 10 लाख रुपए, मार्च में 5 लाख रुपए, मई में 6.5 लाख रुपए दिए गए थे. यह फंड कुलपति, सचिव कार्यालय आदि के फर्नीचर, स्टेशनरी, कम्प्यूटर, इंवर्टर आदि संसाधन जुटाने में खर्च हो गया. मई 2022 के बाद से अब तक यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए कोई भी फंड उपलब्ध नहीं कराया गया है. 101 करोड़ रुपये से यूनिवर्सिटी का निर्माण किया जाना है. इसके निर्माण के लिए 10 करोड़ रुपए भेजे गए थे. यूनिवर्सिटी को चलाने के लिए अब तक 21.5 लाख रुपया ही भेजा गया है, जो संसाधनों को जुटाने में ही खर्च हो गया.

कम पड़ रही जगह

सिविल लाइंस स्थित सिंचाई विभाग के ऑफिस में फर्स्ट फ्लोर पर यूनिवर्सिटी के कैंप कार्यालय बनाने के लिए जगह दी गई है. कैंप कार्यालय के 1 कमरे में कुलपति कार्यालय, 1 कमरे में रजिस्ट्रार कार्यालय, 1 कमरे में असिस्टेंट रजिस्ट्रार कार्यालय, 1 कमरे में यूनिवर्सिटी सामान्य ऑफिस, 1 कमरे में गेस्‍ट के बैठने के लिए, रसोईघर, 2 कमरों में डिग्री कॉलेज के संबंधित फाइलों आदि को रखने के लिए गोपनीय विभाग है. ऐसे में यूनिवर्सिटी के लिए कैंप कार्यालय की जगह इतनी कम पड़ रही है कि नए नियुक्त फाइनेंस ऑफिसर के लिए जगह ही नहीं है. अगर यूनिवर्सिटी के लिए और अधिकारी नियुक्त किए गए तो इतनी कम जगह बड़ी समस्या का कारण बनेगी.

रिपोर्ट : चमन शर्मा

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