राम मंदिर का विवाद सुलझता नजर नहीं आ रहा है. मामला एक बार फिर कोर्ट में पहुंच सकता है. राम मंदिर निर्माण में आने वाले खर्च और रणनीति को लेकर नाराज साधुओं का एक दल हाईकोर्ट में अपील करने की रणनीति बना रहा है.
नाराज साधुओं के इस दल का नेतृत्व रामालय ट्रस्ट के अविमुक्तेश्वरानंद कर रहे हैं. राम मंदिर के निर्माण में कुल खर्च कितना होगा और मंदिर निर्माण में ऐतिहासिक महत्व की चीजों का संरक्षण कैसे किया जायेगा इसे लेकर वह कोर्ट का रुक करेंगे. इनका आरोप है कि ऐतिहासित चीजें जिनका विशेष महत्व है उन्हें राम मंदिर के कैंपस से हटा दी जा रही है.
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राम मंदिर निर्माण के नाम पर कैंपस के अंदर कई ऐसे ऐतिहासिक मंदिर है जिन्हें तोड़ दिया जा रहा है, इनका इतिहास में अपना स्थान लेकिन इन्हें महत्व ही नहीं दिया जा रहा है. ऐसी धरोहरों की रक्षा करनी चाहिए उन्हें संरक्षित कर और सुंदर बनाना चाहिए रामालय ट्रस्ट के ट्रस्टी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इन बातों पर जोर देते हुए कहा अगर इसी तरह की रणनीति रही तो इसका ऐतिहासिक महत्व खत्म हो जायेगा.
राम मंदिर निर्माण में भ्रष्टाचार पर भी इन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा, राममंदिर निर्माण के लिए जो पैसे आये थे उससे ट्रस्ट जमीन खरीद रहा है. ट्रस्ट पर जो गंभीर आरोप लग रहे हैं उनकी जांच होनी चाहिए. जांच निष्पक्ष हो इसके लिए जरूरी है कि केंद्र सरकार रिसीवर नियुक्त करे या फिर ट्रस्ट के अध्यक्ष को अधिकार दे. आरोपी महासचिव चंपत राय व ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्र को पद से हटा कर यह जांच होनी चाहिए.
अयोध्या के बाग बिजेशी में राम मंदिर ट्रस्ट के द्वारा 1.20 हेक्टेयर भूमि खरीद की गयी. इस खरीद में भ्रष्टाचार का . ट्रस्ट पर दो करोड़ की भूमि पर 18.5 करोड़ खर्च करने का बड़ा आरोप लगाया है. इस मामले पर विवाद बढ़ रहा है और साधुओं का एक दल भी इनके साथ आ गया है रामालय ट्रस्ट के ट्रस्टी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है.
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इस तरह के तमाम आरोपों को सामना कर रही मंदिर निर्माण की ट्रस्ट के प्रवक्ता ने कहा, हम पर जो आरोप लगा रहे हैं , धमका रहे हैं उन्होंने राम मंदिर के आंदोलन में कोई साथ नहीं दिया. हमने इसके लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है. हम कोर्ट केस से नहीं डरते