Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पूरे देश में उल्लास है. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के भी भव्य आयोजन की जोर शोर से तैयारी चल रही है. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले पूरे देश में गीता प्रेस का भी 50 साल का रिकॉर्ड टूट गया है. दरअसल श्री रामचरितमानस, हनुमान चालीसा और श्रीमद् भागवत गीता की मांग देश में काफी बढ़ गई है. हालात यह है कि बढ़ी मांग को गीता प्रेस पूरा नहीं कर पा रहा है. श्री रामचरितमानस का स्टॉक भी खत्म हो गया है.
स्टॉक पूरा नहीं कर पा रहा गीता प्रेस
देश में श्रीरामचरितमानस किताब की मांग इतनी बढ़ गई है कि गीता प्रेस के पास स्टॉक खत्म हो गया है. इसी कड़ी में मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात सरकार ने श्रीमद्भगवद्गीता की 50 लाख प्रतियां की डिमांड की है.इसी के साथ ऐसा 50 साल में पहली बार हुआ है जब यूपी के गोरखपुर में गीता प्रेस को अपने स्टॉक में रामचरितमानस की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
VIDEO | For the first time in 50 years, Gita Press in UP's Gorakhpur is facing shortage of Ramcharitmanas in its stock amid rise in demand ahead of the Ram Mandir Pran Pratishtha ceremony in Ayodhya on January 22. pic.twitter.com/twZYGgU05c
— Press Trust of India (@PTI_News) January 12, 2024
कई राज्यों से आ रही है डिमांड- गीता प्रेस
बता दें, गीताप्रेस हाल के दिनों में बढ़ी रामचरित मानस समेत अन्य धार्मिक पुस्तकों की बढ़ी हुई मांग को पूरा नहीं कर पा रहा है. गीता प्रेस के एक ट्रस्टी ने बताया कि देश के कई राज्यों से बड़ी संख्या में पुस्तकों की मांग की जा रही है. उन्होंने कहा कि श्रीरामचरितमानस का पूरा स्टॉक ही खत्म हो गया है. उन्होंने कहा कि हम कोशिश कर रहे हैं कि अधिक से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन किया जाए.
1923 में किराए के भवन हुई थी गीता प्रेस की स्थापना
गौरतलब है कि गीता प्रेस की स्थापना 1923 में किराए के भवन में सेठ जयदयाल गोयंदका ने की थी. इसके बाद हनुमान प्रसाद पोद्दार के गीता प्रेस से जुड़ने और कल्याण पत्रिका का प्रकाशन शुरू होने के साथ ही इसकी ख्याति काफी बढ़ गई. गीता प्रेस अपने स्थापना के बाद से 92 करोड़ से ज्यादा पुस्तकों का प्रकाशन कर चुका है. बीते साल 7 जुलाई को ही गीता प्रेस ने अपना 100 साल पूरा कर लिया है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गीता प्रेस आए थे. बता दें, 1955 में देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद भी यहां आ चुके हैं.
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