रामलला प्राण की प्रतिष्ठा : नर नारी सनाथ करि भवन चले भगवान
श्रीराम के राजगद्दी पर बैठते ही तीनों लोक प्रसन्न हुए और उनके सब दुख दूर हो गये. राम के प्रताप से कोई किसी से वैर नहीं करता था और ऊंच नीच का भेद भी समाप्त हो गया. मानस की यह चौपाई राम की नगरी अयोध्या पर एकदम सटीक बैठती है.
होहिं सगुन सुभ बिबिधि बिधि बाजहिं गगन निसान।
पुर नर नारि सनाथ करि भवन चले भगवान।
राम अपने महल को चले, आकाश फूलों की वृष्टि से छा गया. नगर के स्त्री-पुरुषों के समूह अटारियों पर चढ़कर उनके दर्शन कर रहे हैं. सोने के कलशों को विचित्र रीति से (मणि-रत्नादि से) अलंकृत कर और सजाकर सब लोगों ने अपने-अपने दरवाजों पर रख लिया. सब लोगों ने मंगल के लिए बंदनवार, ध्वजा और पताकाएं लगायीं. अनेक प्रकार के शुभ शगुन हो रहे हैं, आकाश में नगाड़े बज रहे हैं. नगर के पुरुषों और स्त्रियों को सनाथ (दर्शन द्वारा कृतार्थ) करके भगवान श्री रामचंद्रजी महल की ओर चले. रामचरित मानस में यह वर्णन उस समय का है, जब भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक होता है. आज मौका है प्रभु श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का. बरसों के इंतजार के बाद यह शुभ घड़ी आयी है, जब भक्तों के त्याग, तप और तपस्या की पूर्णाहुति होने जा रही है. प्रभु श्रीराम हमारे भावपूरित संकल्प के स्वरूप सिंहासन पर विराजमान होंगे. उत्सव की इस बेला में भक्ति भाव से विभोर रामनगरी मंगल ध्वनि से गूंज उठेगी.
राम राज बैठे त्रैलोका, हर्षित भए गए सब सोका।
बयरु न कर काहू सन कोई, राम प्रताप बिषमता खोई…
श्रीराम के राजगद्दी पर बैठते ही तीनों लोक प्रसन्न हुए
अर्थात श्रीराम के राजगद्दी पर बैठते ही तीनों लोक प्रसन्न हुए और उनके सब दुख दूर हो गये. राम के प्रताप से कोई किसी से वैर नहीं करता था और ऊंच नीच का भेद भी समाप्त हो गया. मानस की यह चौपाई राम की नगरी अयोध्या पर एकदम सटीक बैठती है. अयोध्या धाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए 40 से अधिक स्थानों पर भोजन व निशुल्क चाय व पानी का इंतजाम किया गया है. रोजाना दो लाख से अधिक श्रद्धालु भंडारों का प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं. भक्तों पर मां अन्नपूर्णा की कृपा अनवरत बरस रही है. कहीं सीता रसोई चल रही है, तो कहीं लंगर सजा है, तो कहीं चाय और कॉफी का वितरण हो रहा है. पंजाब, अजमेर, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश अन्य राज्यों के अलावा आसपास के जिलों से आये भक्त निशुल्क भंडारों का संचालन कर रहे हैं. बड़ा भक्तमाल की बगिया में सबसे बड़ी रामकथा का आयोजन हो रहा है. अमृत महोत्सव में 1500 ब्राह्मण व 200 आचार्य अनुष्ठान कर रहे हैं.
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नवनिर्मित भव्य और दिव्य राम मंदिर में रामानंदी परंपरा से होगी पूजा
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रामनगरी अयोध्या में प्रभु राम की बालक स्वरूप में होती है पूजा
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पूजन में लालन-पालन, खान-पान और पसंद का रखा जाता है ध्यान
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शयन से उठाने के बाद चंदन और शहद से करवाया जाता है स्नान
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दोपहर को विश्राम और सायं भोग आरती के बाद शयन होती है 16 मंत्रों की प्रक्रिया
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सभी अनुष्ठान उनके बालरूप को ध्यान में रख कर किये जाते हैं संरक्षक बन कर
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प्राण प्रतिष्ठा के बाद यही रहेगी पूजन की विधि, भव्य रूप देने की हो रही तैयारी
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प्राण प्रतिष्ठा से पहले रामलला की सोने की मूर्तियां आउट ऑफ स्टॉक
राम मंदिर के भव्य उद्घाटन को लेकर उत्साह का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि दुकानों पर सोने और सोने की परत चढ़ी महंगी राम मूर्तियों की बिक्री इस कदर हो रही है कि इनका स्टॉक भी कम पड़ गया है. विक्रेताओं ने बताया कि भगवान श्री राम की सोने और सोने की परत चढ़ी मूर्तियों के साथ ही राम मंदिर के मॉडल्स जिनकी कीमत 30,000 रुपये से लेकर 2,20,000 रुपये के बीच है, उनकी बिक्री भी जोरों पर हो रही है. इनकी लोकप्रियता का आलम ये है कि स्टॉक खत्म हो गया है और कुछ तो थाइलैंड से आयात की गयी हैं. लखनऊ शहर के एक ज्वेलर्स ने बताया कि हमारे यहां आने वाले ग्राहक उपहार देने और घरों में रखने के लिए मूर्तियों और राम मंदिर मॉडल्स की डिमांड कर रहे हैं और इनमें से कई सामानों की वेटिंग दो सप्ताह तक पहुंच गयी है. गौरतलब है कि प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही इससे जुड़े सामानों की बिक्री ने जोर पकड़ लिया था. राम झंडे, पटके, टोपी, टी शर्ट और राम मंदिर की आकृति के छपे कुर्तों की बिक्री से लेकर महंगे आइटम्स भी धड़ल्ले से बिक रहे हैं.