Rampur Political News: उत्तर प्रदेश की 37 रामपुर शहर विधानसभा से आजम खां की विधानसभा सदस्यता रद्द होने के बाद शनिवार को निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव का ऐलान कर दिया है. यहां 05 दिसम्बर को मतदान होगा. 10 नवंबर को नोटिफिकेशन जारी होने के बाद नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जो 17 नवम्बर तक चलेगी. नगर निगम चुनाव से पहले 08 दिसम्बर को चुनाव का रिजल्ट आ जाएगा.
भाजपा में रामपुर सीट पर उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों की लम्बी लाइन है. लेकिन, सपा में आजम खां के बाद प्रत्याशी कौन होगा, इसको लेकर सबकी निगाह लगीं हैं. हालांकि, उनकी पत्नी डॉक्टर तंजीम फातिमा का नाम फाइनल माना जा रहा है. मगर, आजम खां लोकसभा चुनाव की तरह किसी करीबी पर विधानसभा उप चुनाव में दांव लगाने की तैयारी में हैं. क्योंकि, इस सीट पर सपा और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होना तय है. इसी कारण आजम खां काफी सोच समझकर उम्मीदवार तय कर रहे हैं.
आजम खां को तीन वर्ष पूर्व 2019 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान हेट स्पीच के मामले में रामपुर एमपी एमएलए कोर्ट ने तीन वर्ष की सजा सुनाई थी. इसके बाद उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द की गई. इसके बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी कर रहे थे. मगर, उससे पहले ही उप चुनाव का ऐलान हो गया. उनको इस मामले में जमानत मिल चुकी है.
रामपुर विधानसभा सीट से सीतापुर जेल में कैद रहने के बाद भी आजम खां ने 2022 विधानसभा चुनाव करीब 55 हजार से अधिक मतों से जीता था. मगर, वह सिर्फ 154 दिन ही विधायक रह पाए. भड़काऊ भाषण मामले में 27 अक्टूबर को सजा सुनाई गई और 28 अक्टूबर को विधानसभा की सदस्यता रद्द हो गई. इससे पहले 2019 में उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सदस्यता रद्द की गई थी.
रामपुर विधानसभा सीट पर 2017 में चुनाव हुआ था. उस वक्त आजम खान ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2019 में आजम खान रामपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. जिसके चलते उनकी पत्नी डॉक्टर तंजीम फातिमा रामपुर से चुनाव लड़ीं. वह 2019 के उपचुनाव में विधायक बनीं. 2022 में फिर आजमा खां विधायक बने थे. लेकिन, एक बार फिर चुनाव होगा.
रामपुर शहर विधानसभा सीट से भाजपा के दावेदारों ने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं. यहां पर सबसे मजबूत दावेदार पूर्व विधायक शिव बहादुर सक्सेना के पुत्र एवं 2022 विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी आकाश सक्सेना “हनी” हैं. इसके साथ ही जिलाध्यक्ष अभय गुप्ता, डॉक्टर तनवीर अहमद खां समेत कई दावेदार टिकट पाने की कोशिश में लग गए हैं.
आकाश सक्सेना दस महीने पहले भी आजम खां के खिलाफ चुनाव लड़े थे. उस वक्त आजम खां सीतापुर जेल में बंद थे. लेकिन, इसके बाद भी मुहम्मद आजम खां को 13,1,225 मत मिले, जबकि आकाश सक्सेना को 76084 मत मिले. सपा उम्मीदवार आजम खां को 59.71 फीसद, जबकि भाजपा प्रत्याशी आकाश को 34.62 फीसद, बसपा प्रत्याशी को सदाकत हुसैन को 2.25, फीसद, कांग्रेस प्रत्याशी काजिम अली खां को 1.82 और आप प्रत्याशी फैसल खां को 0.83 फीसद वोट मिले थे.
2017 विधानसभा चुनाव में मुहम्मद आजम खां को 47.47 फीसद यानी 102,100 और भाजपा के शिव बहादुर सक्सेना को 25.69 फीसद 55258 मत मिले थे. 2012 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ.तनवीर अहमद खान को सिर्फ 32503 और आजम खां को 95772 वोट मिले. वह करीब 58 हजार वोटों से जीते थे.
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रामपुर ऐसा इलाका है, जहां चुनाव हिंदू मुस्लिम नहीं होता. यहां के हिंदू भी आजम खां को वोट करते हैं. मगर, रामपुर की वजह से अन्य सीट पर चुनाव हिंदू मुस्लिम हो जाता है. रामपुर में 55.57 फीसदी मुसलमान, और हिंदू मतदाताओं की संख्या 42.97 फीसदी है. इसके अलावा करीब 3 फीसद सिख समुदाय के लोग हैं. यहां आजम खान का दबदबा था. लेकिन, कुछ महीने पहले हुए रामपुर लोकसभा उप चुनाव में सपा उम्मीदवार की हार हुई थी. हालांकि, यहां का मुस्लिम वोट लगातार सपा को मिलता रहा है. लेकिन, नवाब परिवार हमेशा आजम खान के विरोध में रहा है. इससे नवाब खानदान का भाजपा उम्मीदवार को समर्थन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है.
सपा नेता आजम खां ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यलय से छात्र राजनीति से अपने कॅरियर की शुरूआत की थी, लेकिन शहर विस क्षेत्र से वह पहली बार 1977 में चुनाव लड़े. हालांकि, तब कांग्रेस के मंजूर अली खां उर्फ शन्नू खां ने उन्हें शिकस्त दी.1980 में जनता पार्टी सेक्युलर से आजम खां फिर शहर विस सीट से चुनावी समर में उतरे और विधायक बने.इसके बाद 1985 में हुए विस चुनाव में वह लोकदल के टिकट से चुनाव लड़े और जीते.1989 में जनता दल से उन्हें चुनाव मैदान में उतारा गया और वह जीते.इसके बाद 1991 में जनता पार्टी से चुनाव लड़े, जीत दर्ज कराई. वर्ष 1992 में अयोध्या कांड के बाद यूपी की सियासत में बड़ा बदलाव आया और आजम खां समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य बने,फिर 1993 के चुनाव में सपा के सिंबल पर शहर विस क्षेत्र से ही ताल ठोंकी, तब से लगातार वह सपा से ही चुनाव लड़ते रहे. वर्ष 1996 में चुनाव हारे तो राज्यसभा सदस्य बना दिए गए.इसके बाद फिर जब-जब विधानसभा चुनाव हुआ वह लड़े और जीते.वह 1980 से सदन के लगातार सदस्य रहे.मगर, इस समय किसी सदन के सदस्य नहीं हैं.
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कुल मतदाता- 3,87,385
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पुरुष- 2,05,971
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महिला- 1,81,107
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किन्नर – 307
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रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद