Rampur By Election: आजम की मुश्किलें बरकरार, उपचुनाव के लिए आज से नामांकन शुरू, 5 दिसंबर को होगा मतदान

सपा नेता आजम खान को सेशन कोर्ट से राहत न मिलने के बाद चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी है. रामपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए आज से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है. नामांकन का अंतिम दिन 18 नवंबर निर्धारित किया गया है. पांच दिसंबर को मतदान होना है, और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे.

By Sohit Kumar | November 11, 2022 9:42 AM

Lucknow News: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान (Azam Khan) की मुश्किलें हैं कि कम होने का नाम ही नहीं ले रही. इस बीच एमपी-एमएलए कोर्ट से मिली तीन साल की सजा के खिलाफ उनकी अपील को रामपुर सेशन कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 15 नवंबर को तय इस सुनवाई को 10 नवंबर को करने और उसी दिन फैसला सुनाने का निर्देश दिया था. फिलहाल, चुनाव आयोग ने आज से शुरू हो रहे नामांकन के लिए अधिसूचना जारी कर दी है.

रामपुर उपचुनाव के लिए आज से नामांकन

दरअसलल, सपा नेता आजम को सेशन कोर्ट से राहत न मिलने के बाद चुनाव आयोग ने अधिसूचना जारी कर दी है. रामपुर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए आज से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो रही है. नामांकन का अंतिम दिन 18 नवंबर निर्धारित किया गया है. इसके अलावा 21 नवंबर तक प्रत्याशी नामांकन वापस ले सकते हैं. पांच दिसंबर को मतदान होना है, और 8 दिसंबर को नतीजे आएंगे.

आजम खान की सजा पर स्टे देने से इनकार

वहीं दूसरी ओर कोर्ट ने सपा के वरिष्ठ नेता की अपील पर स्टे देने से इनकार कर दिया है. रामपुर सेशन कोर्ट ने आजम खान और अभियोजना पक्ष को 12 बजे तक सुना था. इसके बाद देर शाम को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. इसी के साथ ही आजम खान की विधायकी रद्द रहने पर मुहर लग गयी और रामपुर में चुनाव कराने का रास्ता लगभग साफ हो गया है.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद रामपुर सेशन कोर्ट ने की सुनवाई

सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान को हेट स्पीच मामले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी थी. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आजम खान को 15 नवंबर तक अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. साथ ही रामपुर सेशन कोर्ट को आजम खान की हेट स्पीच मामले में दोष सिद्धि की अपील की सुनवाई के आदेश दिये थे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार को आज़म खां की तरफ से पूर्व अपर महाधिवक्ता इमरान उल्लाह ने बहस की थी. उन्होंने पूर्व में दिए गए फैसले का हवाला दिया था. लेकिन उनकी दलीलें काम नहीं आयी.

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