Lucknow: राष्ट्रीय लोकदल के किसान संदेश अभियान को किसानों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह के निर्देश पर यूपी में चलाए जा रहे किसान संदेश अभियान अब तक 3000 से अधिक किसानों ने गन्ना मूल्य घोषित करने के लिये मुख्यमंत्री को किसान संदेश पत्र भेजा है. इस अभियान में रालोद के पदाधिकारी व कार्यकर्ता अपने-अपने जिलों में किसानों से संपर्क करके प्रदेश के मुख्यमंत्री के नाम गन्ना मूल्य घोषित करने के लिये किसान संदेश पत्र को हस्ताक्षरित कराकर भेज रहे हैं.
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता वेद प्रकाश शास्त्री ने बताया कि प्रदेश के 75 जनपदों से अब तक 3000 किसानों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजा है. जिसमें कहा गया है कि यूपी में गन्ना पेराई का सत्र शुरू हुए तीन माह से अधिक समय हो चुका है. लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया है. प्रदेश में 119 मिल चल रही हैं. जिनमें किसान पुराने मूल्य पर अपना गन्ना देने पर मजबूर हैं.
उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में गन्ना किसानों को लागत का डेढ़ गुना मूल्य देने के वादे के साथ 14 दिन में भुगतान करने का भी वादा किया था. लेकिन दूसरी बार सत्ता में आने के बाद भी सरकार अपना वादा पूरा नहीं कर रही है. जिसको लेकर प्रदेश के किसानों में जबरदस्त आक्रोष है. वेद प्रकाश शास्त्री ने कहा कि राष्ट्रीय लोकदल किसानों को उनका हक दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है. प्रदेश के एक लाख किसानों से संपर्ककर उनके हस्ताक्षर युक्त पत्र भेजने का लक्ष्य रखा गया है. जिसे पूरा करने के लिए राष्ट्रीय लोकदल की सभी इकाइयां लगी हुई हैं.
राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर गन्ना किसानों के शोषण का आरोप लगाते हुये कहा कि गन्ने का पेराई सत्र चालू होने के बावजूद इस वर्ष गन्ने का मूल्य घोषित नहीं किया गया है. जिसके कारण किसान अपने को ठगा महसूस कर रहा है.यूपी के 75 में से 44 जिलों में गन्ना बाहुल्य जिले हैं. इन 44 जनपदों का किसान गन्ने की खेती पर ही निर्भर हैं. 119 चीनी मिले इस समय गन्ने की पेराई का काम कर रही हैं.
इस वर्ष किसी तरह का चुनावी लाभ न मिलने के कारण अभी तक गन्ने का मूल्य घोषित नहीं किया गया, जो कि किसानों के साथ सरासर अन्याय है. अनिल दुबे ने राज्य सरकार पर मिल मालिकों का हितैषी होने का आरोप लगाते हुये कहा कि वर्तमान सरकर का किसानों से कोई सरोकार ही नहीं है. इसलिए गन्ना मूल्य घोषित करने से सरकार कतरा रही है.