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भोजपुरी में बोलकर PM मोदी ने क्यों किया पूर्वांचलियों को प्रणाम, पश्चिम पड़ रहा कमजोर तो BJP को पूरब से लगी आस

पूर्वांचल की 156 सीटें साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में काफी महत्वपूर्ण हैं. दरअसल, किसानों का आंदोलन प्रदेश के पश्चिमी विधानसभा की 136 सीटों पर असर डाल सकता है. ऐसे में भाजपा के लिए पूर्वांचल में मजबूत पकड़ बनाना ही जीत का रास्ता आसान करता दिख रहा है.

UP Election 2022 : किसान आंदोलन के चलते कमजोर पड़ते दिख रहे पश्चिमी उत्तर प्रदेश का तोड़ बन सकता है पूर्वांचल एक्सप्रेसवे. इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के अवसर पर पूर्वांचल के विकास को देश के विकास का पथ कहा है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा ने पश्चिमी यूपी में आई कमी की भरपाई के लिए पूर्वांचल से उम्मीद लगा ली है.

क्या कहती हैं पश्चिम और पूर्वांचल की विस सीटें

देश का सबसे बड़ा सूबा है उत्तर प्रदेश. यहां कुल 403 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से पूर्वांचल की 156 सीटें साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में काफी महत्वपूर्ण हैं. दरअसल, किसानों का आंदोलन प्रदेश के पश्चिमी विधानसभा की 136 सीटों पर असर डाल सकता है. ऐसे में भाजपा के लिए पूर्वांचल में मजबूत पकड़ बनाना ही जीत का रास्ता आसान करता दिख रहा है. यही वजह है कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल का विकास प्रदेश का विकास कहा था.

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन राजनीति के लिए है अहम

यूं तो देश के हर राज्य का विधानसभा चुनाव काफी महत्वपूर्ण होता है. मगर उत्तर प्रदेश का चुनाव दिल्ली की राजनीति की दिशा को बदलने की क्षमता वाला माना जाता है. यही कारण है कि यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कोई भी राजनीतिक दल किसी तरह की कमी नहीं करना चाहता. सभी पुरजोर कोशिश करके यहां जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं. मंगलवार को हुए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन भी उसी राजनीतिक कदम का अहम हिस्सा माना जा रहा है.

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भाजपा से जाट हैं नाराज़ यानी जाटलैंड बनी मुसीबत

बता दें कि वेस्ट यूपी के मेरठ, सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, आगरा, अलीगढ़ यानी छह मंडल में 26 जिले आते हैं. इन सभी जिलों की विधानसभा सीटों पर जाट वोटबैंक की अधिकता है. यानी जाटलैंड. यही जाट बड़ी संख्या में बीते एक साल से केंद्र की मोदी सरकार सहित प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. जो आगामी चुनाव में भाजपा के लिए हितकर नहीं है.

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पूर्वांचल पर पकड़ बनाए रखना इसलिए है जरूरी…

गौरतलब है कि पूर्वांचल में कुल 26 जिले हैं. यहां विधानसभा की 156 सीटें हैं. अगर 2017 के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो भाजपा ने यहां 106 सीटों पर कब्जा किया था. वहीं, सपा को 18, बसपा को 12, अपना दल को 8, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को 4, कांग्रेस को 4 और निषाद पार्टी को 1 सीट पर जीत मिली थी जबकि 3 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी. ऐसे में विषमताओं से भरे पूर्वांचल को अपने खेमे में रखते हुए भाजपा प्रदेश में दोबारा जीत हासिल करने का मंसूबा पाल रही है.

क्या कहते सियासी पंडित…तभी जीत होगी आसान

लखनऊ के सियासी गलियारों में भी इस बात की चर्चा है कि बीते एक साल से चल रहे किसान आंदोलन के चलते पश्चिम की तकरीबन 136 विधानसभा सीटों पर भाजपा के लिए नकारात्मक असर पड़ सकता है. ऐसे में यदि भाजपा ने पूर्वांचल की करीब 156 विधानसभा सीटों पर अपनी दावेदारी मजबूत कर ली तो वह चुनाव जीतने में काफी आसानी हासिल कर सकता है. यही कारण है कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के लोकार्पण के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल के विकास को देश के विकास में काफी अहम जताने की कोशिश की है.


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