Mainpuri By Election Result…तो मैनपुरी में ‘मुलायम’ के आगे पार नहीं पा सकी भाजपा

उपचुनाव भले ही मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण हुआ हो. लेकिन, हर जनसभा में यहां उनका ही नाम लिया गया. मुलायम के नाम का ही असर रहा कि भाजपा तमाम कोशिशों के बावजूद इससे पार नहीं पा सकी.

By Sanjay Singh | December 8, 2022 12:47 PM

Lucknow: मैनपुरी लोकसभा सीट एक बार फिर ​सपा के खाते में जाती नजर आ रही है. मतगणना की शुरुआत से ही डिंपल यादव ने बढ़त बनाये रखने का जो सिलसिला शुरू किया, वह लगातार जारी है. सपा कार्यकर्ता दावा कर रहे हैं कि नेताजी की विरासत को न सिर्फ डिंपल यादव ही आगे बढ़ाएंगी, बल्कि जीत के मार्जिन के लिहाज से भी ये उपचुनाव ऐतिहासिक होगा.

उपचुनाव भले ही मुलायम सिंह यादव के निधन के कारण हुआ हो. लेकिन, हर जनसभा में यहां उनका ही नाम लिया गया. मुलायम के नाम का ही असर रहा कि भाजपा तमाम कोशिशों के बावजूद इससे पार नहीं पा सकी.

सपा की रणनीति ने मतदाताओं को किया प्रभावित

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक जिस तरह से डिंपल यादव की बढ़त का मार्जिन है, उससे अब यहां भाजपा की जीत बेहद मुश्किल नजर आ रही है. डिंपल यादव की बढ़त एक लाख के करीब पहुंचने वाली है. इसके पीछे सपा का उपचुनाव को लेकर धरातल पर रणनीति को सफल बनाना है. मुलायम कुनबे के सभी सदस्यों सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता और कार्यकताओं ने यहां न सिर्फ मतदाताओं के बीच सघन जनसंपर्क किया, बल्कि अखिलेश यादव स्वयं लोगों के घरों पर जाकर उनसे मिले और वोट की अपील की.

नेताजी के नाम के साथ उपचुनाव को बनाया भावनात्मक

सपा ने चुनावी प्रबंधन पर बेहद ध्यान दिया, बूथ स्तर पर जाकर काम किया गया और जनता के बीच इस उपचुनाव को नेताजी से जोड़कर भी भावनात्मक बनाने काम किया. पार्टी नेता लगातार इस बात को कहते रहे कि ये उपचुनाव नेताजी की विरासत का है, उनके सपनों को पूरा करने का है. मैनपुरी के मतदाताओं के दिलों में मुलायम सिंह को लेकर जो जगह थी, सपा ने उसका पूरा फायदा लेने की कोशिश की.

शिवपाल यादव के साथ ने दी मजबूती

सबसे अहम बात कि पारिवारिक विवाद को खत्म करते हुए जिस तरह से शिवपाल यादव को अहमियत दी गई, उसने डिंपल यादव के पक्ष में माहौल बनाने का काम किया है. यही वजह है कि मतगणना में शिवपाल यादव के विधानसभा क्षेत्र जसवंतनगर में डिंपल यादव को भारी बढ़त मिली. शिवपाल यादव ने इस क्षेत्र को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था, उन्होंने खुलकर अपने चेले जाने कहे जाने वाले भाजपा प्रत्याशी रघुराज शाक्य पर हमला बोला. शिवपाल यादव की अपील काम करती नजर आयी.

रघुराज शाक्य को लेकर नहीं दिखा उत्साह

दूसरी ओर रघुराज शाक्य की बात करें तो भाजपा संगठन ने उनके लिए जाड़े में पसीना बहुत बहाया. केन्द्र व प्रदेश सरकार के मंत्रियों से लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने यहां चुनावी सभाओं के जरिए भाजपा के लिए वोट मांगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी जनता से कमल खिलाने की अपील की. ले​किन, बड़े नेताओं की अपील के आगे रघुराज शाक्य का कद छोटा नजर आया. जिस तरह से मतदान हुआ, उससे जाहिर हो रहा है कि रघुराज शाक्य को लेकर मतदाताओं में उत्साह नजर नहीं आया. वहीं सपा ने जिस तरह से यहां नेताजी के नाम पर मार्मिक अपील की, उसके मुकाबले भाजपा और रघुराज शाक्य की अपील बेअसर साबित हुई. इसी वजह से उपचुनाव में माहौल एकतरफा नजर आया.

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डिंपल यादव इस तरह पहुंच चुकी हैं लोकसभा

डिंपल ने 2009 में फिरोजाबाद से पहला उपचुनाव लड़ा था. अखिलेश यादव के सीट छोड़ने के बाद यहां उपचुनाव हुआ था. इसमें राज बब्‍बर ने डिंपल यादव को शिकस्त दी थी. डिंपल का चुनाव हारना मुलायम परिवार के लिए बेहद चौंकाने वाला था. इसके बाद 2012 में डिंपल ने कन्नौज से दूसरा उपचुनाव लड़ा. तब भी सीट अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई थी. इसमें वह निर्विरोध चुनी गईं.

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