उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की अपर निजी सचिव भर्ती परीक्षा 2010 (Additional Private Secretary Recritment ) की भर्ती में जमकर फर्जीवाड़ा किया गया. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जो अभ्यर्थी, हिंदी और शार्टहैंड की परीक्षा में फेल थे, उनका भी चयन कर दिया गया. कम्प्यूटर का फर्जी प्रमाणपत्र लगाने वाले अभ्यर्थी तक नियुक्ति पा गए. यही नहीं, आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि बीतने के बाद भी अभ्यर्थियों से कंप्यूटर प्रमाण पत्र स्वीकार किए गए. जांच में यह गड़बड़ियां प्रमाणित होने पर शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने आयोग के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ, आयोग के कुछ कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली.
बता दें, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 2010 में अपर निजी सचिव के 250 पदों के लिए विज्ञापन निकाला था. तीन चरणों में इसकी परीक्षा हुई. 2013 में पहले चरण में हिंदी और सामान्य अध्ययन की परीक्षा हुई, जिसका परिणाम 2014 में आया. उसके बाद जो सफल अभ्यर्थी थे, उनकी 2014 में हिंदी टाइपिंग और शार्टहैंड की परीक्षा हुई. इसका परिणाम 2016 में आया, जिसके कंप्यूटर की परीक्षा हुई और अक्टूबर 2017 में फाइनल रिजल्ट आया, जिसमें 249 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया. एक अभ्यर्थी का मामला अदालत में विचाराधीन था.
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इसी दौरान चयन से वंचित रह गए कुछ अभ्यर्थियों की भर्ती प्रक्रिया में धांधली की जानकारी हुई. इस पर वे हाई कोर्ट चले गए. हाई कोर्ट ने माना कि 26 अभ्यर्थियों के कंप्यूटर प्रमाणपत्र फर्जी हैं और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को आदेश दिया कि इसका परीक्षण कर फर्जी प्रमाणपत्र वालों का चयन निरस्त करें. इस आदेश के बाद भी आयोग ने कोई परीक्षण नहीं कराया. इससे नाराज अभ्यर्थियों ने आयोग के खिलाफ कोर्ट ऑफ कन्टेम्ट किया, जिसके बाद आयोग ने परीक्षण कराकर चार अभ्यर्थियों का चयन निरस्त कर दिया और अन्य को नियुक्ति दे दी.
इस बीच अभ्यर्थी सीबीआई की शरण में पहुंच गए थे. सीबीआइ ने प्रथम दृष्टया जांच में गड़बड़ी पाई और जांच के लिए शासन से अनुमति मांगी. अनुमति मिलने पर जांच शुरू कर दी गई. इस दौरान 222 अपर निजी सचिवों को उत्तर प्रदेश सचिवालय में ज्वॉइनिंग मिल गई. इसके अलावा 28 चयनित अभ्यर्थिकों की ज्वॉइनिंग सरकार ने सीबीआई जांच पूरी होने तक रोक दी है.
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सीबीआइ ने जब अभ्यर्थियों से पूछताछ और लोक सेवा आयोग के अनुभाग में जांच पड़ताल की तो व्यापक स्तर पर गड़बड़ी किए जाने का मामला सामने आया. पता चला कि कई अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिका भी बदली गई है. सीबीआई इंस्पेक्टर रवीश कुमार झा की जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि इन गड़बड़ियों के कारण योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित हो गए जबकि अयोग्य अभ्यर्थी चयनित होने में सफल हो गए.
बता दें कि. भले ही आयोग ने 15 जून 2015 को हिंदी शॉर्टहैंड टेस्ट में 5% त्रुटियों की छूट को मंजूरी दे दी थी, लेकिन जिन उम्मीदवारों ने 8% तक गलतियाँ की थीं, उन्हें भी कथित तौर पर परीक्षा के तीसरे चरण यानी कंप्यूटर ज्ञान परीक्षण के लिए योग्य घोषित कर दिया गया था. आरोप यह भी है कि कुछ उम्मीदवारों के लिए विज्ञापन नियमों में ढील दी गई और उन्हें अपने कंप्यूटर प्रमाणपत्र बदलने की अनुमति दी गई.
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यह भी पाया गया कि कुछ मामलों में कुछ उम्मीदवारों द्वारा प्रस्तुत अपेक्षित कंप्यूटर प्रमाण पत्र कथित रूप से जाली/झूठे पाए गए थे, फिर भी उन उम्मीदवारों को आयोग द्वारा योग्य घोषित किया गया था. विशेषज्ञों और जांचकर्ताओं द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन और जांच ठीक से नहीं की गई है. यह भी आरोप लगाया गया था कि अनुचित मूल्यांकन के परिणामस्वरूप कुछ अयोग्य उम्मीदवारों का चयन हुआ था. मामले की जांच जारी है.
Posted by : Achyut Kumar