UP Election 2022: पश्चिमी यूपी में सब नेता लगाना चाह रहे ‘खाट’, क्या चुनावी दंगल में जाट कराएंगे ठाट?

प्रदेश की राजनीति में अचानक ही पश्चिमी यूपी पर सबका जोर बढ़ गया है. दरअसल, किसान आंदोलन की वजह से भाजपा को जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए अब अमित शाह एक के बाद एक नए पैंतरे आजमा रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 28, 2022 8:38 AM
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Lucknow News: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में पश्चिमी यूपी के जाट वोटर्स पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं. शुक्रवार को मेरठ में तीन बड़े नेताओं का दौरा भी है. वहीं, बीजेपी के थिंकटैंक में शुमार अमित शाह हर रोज इस दिशा में कोई न कोई कदम उठा रहे हैं. दरअसल, किसान आंदोलन के बाद से इतना तो तय है कि पश्चिमी यूपी के जाट इस बार के चुनावी दंगल में नेताओं की ठाट कराने में अहम भूमिका निभाएंगे.

अमित शाह एक के बाद आजमा रहे पैंतरे

प्रदेश की राजनीति में अचानक ही पश्चिमी यूपी पर सबका जोर बढ़ गया है. दरअसल, किसान आंदोलन की वजह से भाजपा को जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए अब अमित शाह एक के बाद एक नए पैंतरे आजमा रहे हैं. हाल ही में उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभुत्व वाले करीब 250 जाट मठाधीशों के साथ बैठक कर अपनी पार्टी की दरकी हुई दीवार को मजबूती देने की कोशिश की है.

सीएम योगी भी कर रहे ताबड़तोड़ दौरे

वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ बीजेपी की फुल स्ट्रेंथ टीम के साथ चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. इस क्रम में मुख्यमंत्री 28 जनवरी यानी आज बदायूं और कासगंज के दौरे पर रहेंगे. इसके बाद 29 जनवरी को जालौन और कानपुर देहात में जनसभाओं को संबोधित करेंगे, और फिर 30 जनवरी को आगरा और मैनपुरी और 31 जनवरी को मेरठ और हापुड़ में डोर-टू-डोर चुनाव प्रचार करेंगे.

सपा और रालोद का गठबंधन क्या लाएगा रंग?

इससे इतर मेरठ में शुक्रवार को सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और आरएलडी के जयंत चौधरी अपना संयुक्त चुनाव प्रचार अभियान शुरू करेंगे. अखिलेश यादव और जयंत चौधरी मेरठ आएंगे और एनएच 58 पर गॉडविन होटल में साढ़े तीन बजे संयुक्त प्रेस वार्ता करेंगे. दोनों नेता यहां करीब एक घंटा रहेंगे. यानी हर दल का जोर इस बात पर है कि किसी तरह पश्चिमी यूपी के जाट नेता उनकी पार्टी को समर्थन दे दें. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा और रालोद का गठबंधन क्या रंग लाता है?

बिल तो वापिस हुआ मगर मैल नहीं गया

ऐसा हो भी क्यों न? दरअसल, पश्चिमी यूपी की 136 विधानसभा सीट का समीकरण उत्तर प्रदेश में जीत का रास्ता पक्का करने की सीढ़ी कही जाती है. देशभर में चले किसान आंदोलन की आंच का असर जितना वेस्ट यूपी में देखा गया था, उतना कहीं और नहीं देखा गया था. ऐसे में केंद्र की मोदी सरकार में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को इस बेल्ट का इंचार्ज बनाया गया था. बड़े ही नाटकीय अंदाज में केंद्र ने विवादास्पद कृषि कानून को तो वापिस ले लिया मगर किसानों के मन का मैल पूरी तरह से साफ नहीं कर सके हैं.

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