Sahitya Akademi Award 2022: लखनऊ के लेखक, शायर व शिक्षक डॉ. अनीस अशफाक को साहित्य अकादमी पुरस्कार

डॉ. अनीस अशफाक का जन्म 1950 में लखनऊ के पुराने इलाके नक्खास में हुआ और बचपन यहीं बीता. उन्होंने लगभग 21 किताबें लिखीं हैं और कई अभी छपने की लाइन में हैं. 350 से ज्यादा आर्टिकल प्रकाशित हुए हैं. 100 से अधिक पुस्तकों की समीक्षा की है. देश-विदेश के 200 से अधिक सेमिनारों में उन्होंने हिस्सा लिया है.

By Amit Yadav | December 23, 2022 7:28 AM

Lucknow: अदब की नगरी लखनऊ के जाने-माने लेखक, शायर व शिक्षक डॉ. अनीस अशफाक को 2017 में उर्दू भाषा में लिखे उपन्यास ‘ख्वाब सराब’ के लिये इस साल के साहित्य अकादमी अवार्ड से नवाजा गया है. डॉ. अनीस ने लखनऊ विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में वर्ष 1983 से 2012 तक पढ़ाया है. वह 16 साल तक उर्दू विभाग के हेड भी रहे हैं. डॉ. अनीस ने लखनऊ के जुबली कॉलेज में पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए. एमए. की डिग्री ली. वर्ष 1981 में उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से ही पीएचडी और फिर 1999 में डीलिट् की उपाधि ली. डॉ. अनीस को वर्ष 2001 में साहित्य अकादमी का ट्रांसलेशन अवार्ड भी मिल चुका है.

21 से अधिक  किताबें लिखीं

डॉ. अनीस अशफाक ने साहित्य अकादमी पुरस्कार की घोषणा के बाद ‘प्रभात खबर यूपी’ से विशेष बातचीत की. साहित्य अकादमी सम्मान मिलने की बधाई के साथ बातचीत की शुरुआत हुई. डॉ. अनीस ने बताया कि उनका जन्म 1950 में लखनऊ के पुराने इलाके नक्खास में हुआ और बचपन यहीं बीता. अब वह लखनऊ के ही गोमती नगर में रहते हैं. उन्होंने लगभग 21 किताबें लिखीं हैं और कई अभी छपने की लाइन में हैं. उनके 350 से ज्यादा आर्टिकल प्रकाशित हुए हैं. साथ ही 100 से अधिक पुस्तकों की समीक्षा की है. देश-विदेश के 200 से अधिक सेमिनारों में उन्होंने हिस्सा लिया है.

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भोपाल में मिला ‘इकबाल सम्मान’

पुरस्कारों और सम्मान की बात करें तो डॉ. अनीस अशफाक को 1993 में इम्तियाज-ए-मीर अवार्ड, 1997 में अदब की बात किताब के लिये यूपी उर्दू अकादमी का पहला पुरस्कार, 2009 में एक बार फिर यूपी उर्दू अकादमी का पहला पुरस्कार बहस ओ तनकीद के लिये मिला. हिंदी उर्दू साहित्य अवार्ड कमेटी ने डॉ. अनीस को ‘उर्दू अदब अवार्ड’ से नवाजा. 2015 में ‘प्राइड ऑफ लखनऊ’ अवार्ड दिया गया. 2018 में भोपाल में उन्हें इकबाल सम्मान दिया. इसके अलावा डॉ. अनीस अशफाक को कई सम्मान और पुरस्कार अपने लेखन के लिये मिलते रहे हैं.

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