UP MLC Chunav 2022: सपा ने एमएलसी टिकट के लिए कई नामों पर लगाई मुहर, विधान परिषद चुनाव की जंग में जोश हाई
यूपी में हो रहे उच्च सदन की चुनाव प्रक्रिया के लिए नामांकन का कार्य शुरू किया जा चुका है. यूपी में दो चरणों में विधान परिषद के चुनाव सम्पन्न हो रहे हैं. सपा ने कुछ नामी चेहरों पर दांव लगाने के साथ ही कुछ नए चेहरों को भी मौका दिया है.
UP MLC Election News: समाजवादी पार्टी (सपा/SP) ने विधान परिषद चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों पर मुहर लगानी शुरू कर दी है. यूपी में हो रहे उच्च सदन की चुनाव प्रक्रिया के लिए नामांकन का कार्य शुरू किया जा चुका है. यूपी में दो चरणों में विधान परिषद के चुनाव सम्पन्न हो रहे हैं. सपा ने कुछ नामी चेहरों पर दांव लगाने के साथ ही कुछ नए चेहरों को भी मौका दिया है.
इन नामों पर लगाया सपा ने दांव…
शुरुआती जानकारी के मुताबिक, सपा ने बाराबंकी से राजेश यादव, जौनपुर से मनोज कुमार, वाराणसी से उमेश कुमार, पीलीभीत-शाहजहांपुर से अमित यादव, प्रतापगढ़ से विजय बहादुर यादव, आगरा-फिरोजाबाद से दिलीप सिंह यादव, इलाहाबाद से बासुदेव यादव, लखीमपुर खीरी से अनुराग वर्मा, मथुरा-एटा-मैनपुरी से उदयवीर सिंह, बहराइच से अमर यादव, गोरखपुर-महाराजगंज से रजनीश यादव, झांसी-जालौन-ललितपुर से श्याम सुंदर सिंह, लखनऊ-उन्नाव से सुनील कुमार सिंह साजन, बस्ती-सिद्धार्थनगर से संतोष यादव, रायबरेली से वीरेंद्र शंकर सिंह, फैजाबाद से हीरालाल यादव, आजमगढ़-मऊ से राकेश कुमार यादव और रामपुर-बरेली से मसकूर अहमद को एमएलसी का प्रत्याशी बनाया है.
Also Read: MLC Election Process: विधानसभा में जो मजबूत विधान परिषद में उसी का जलवा, जानें एमएलसी चुनाव की प्रक्रिया
छह राज्यों में है विधान परिषद
अभी देश के छह राज्यों में ही विधान परिषद हैं. उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 100 सीटें हैं. इसके अलावा बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी विधान परिषद है. विधान परिषद में एक निश्चित संख्या तक सदस्य होते हैं. संविधान के तहत विधानसभा के एक तिहाई से ज्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए. उदाहरण के तौर पर समझें तो यूपी में 403 विधानसभा सदस्य हैं. यानी यूपी विधान परिषद में 134 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं. इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य का होना अनिवार्य है. एमएलसी का दर्जा विधायक के ही समकक्ष होता है. मगर कार्यकाल 1 साल ज्यादा होता है. विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है. वहीं, विधानसभा सदस्य यानी विधायक का कार्यकाल 5 साल का होता है.
Also Read: UP MLC Chunav: प्रधानों और बीडीसी से होली के गुलाल के बदले वोट मांगने का है प्लान, जानें भाजपा की रणनीति