विधानसभा सत्र से ठीक पहले समाजवादी पार्टी की ‘धरना’ पॉलिटिक्स, जानें क्या है रणनीति?
समाजवादी पार्टी ने विधानसभा के मानसून सत्र से ठीक पहले सरकार पर 'धरना' पॉलिटिक्स के माध्यम से दबाव बनाने की रणनीति बनायी है. इस धरना-प्रदर्शन के माध्यम से ध्वस्त कानून व्यवस्था, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को सपा के वरिष्ठ नेता उठाएंगे.
Lucknow: 19 सितंबर से शुरू हो रहा विधानसभा सत्र हंगामेदार रहेगा. समाजवादी पार्टी ने सरकार को जनता से जुड़े कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी शुरू कर दी है. इसकी शुरुआत 14 सितंबर बुधवार से होगी. विधान भवन स्थित पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के समक्ष समाजवादी पार्टी के सभी विधायक धरना देंगे.
जनता से जुड़े मुद्दों पर होगा घमासान
धरना-प्रदर्शन के दौरान प्रमुख मुद्दा प्रदेश की ध्वस्त कानून व्यवस्था, बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, विपक्षी दलों खासकर समाजवादी पार्टी के नेताओं, कार्यकर्ताओं के खिलाफ फर्जी-झूठे मुकदमों का मुद्दा उठाया जाएगा. इसके अलावा प्रदेश में सूखा संकट, गन्ना किसानों का बकाया भुगतान, किसानों की आत्महत्या को लेकर भी समाजवादी पार्टी प्रदर्शन करेगी.
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अलग-अलग नेता करेगा धरना-प्रदर्शन
सपा विधानमंडल दल के मुख्य सचेतक मनोज कुमार पांडेय ने मंगलवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि 14 सितंबर को धरने का नेतृत्व वह स्वयं करेंगे. 15 सितंबर को प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, 16 सितंबर को पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री अवधेश प्रसाद एवं इंदजीत सरोज, 17 सितंबर को विधानसभा में पार्टी के पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ नेता राम अचल राजभर, 18 सितंबर को धरने का नेतृत्व पूर्व नेता विरोधी दल राम गोविंद चौधरी और पूर्व मंत्री ओम प्रकाश सिंह करेंगे.
आजम खां पर फर्जी मुकदमें का भी मुद्दा उठेगा
मनोज पांडेय ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि सत्तारूढ़ बीजेपी विपक्षी दल के नेताओं-कार्यकर्ताओं खासकर समाजवादी पार्टी के नेताओं पर झूठे मुकदमें लगा रही है. उन्हें अपमानित किया जा रहा है. चरित्र हनन के प्रयास किए जा रहे हैं. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आजम खां के ऊपर गवाहों को धमकाने का झूठा मुकदमा लिखाया गया. जौहर विश्वविद्यालय चलाने में बाधा डाली जा रही है. प्रदेश के अधिकांश जिले सूखे से प्रभावित हैं लेकिन न तो अभी तक कोई जांच कराई गई है और नहीं सूखा प्रभावित किसानों को कोई मदद दी गई.
ये भी आरोप: खाना-पीना, पढ़ना-लिखना तक महंगा
सपा नेता ने कहा कि खाने पीने की चीजें आटा, दाल, तेल से लेकर बच्चों की पढ़ाई के काम आने वाली कलम, कॉपी तक पर जीएसटी लगा दी गई है. इससे परिवारों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है. पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है. बेरोजगारी में लगातार वृद्धि होती जा रही है. बेरोजगार नौजवान निराश है और आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहा है. सरकारी संस्थाओं का निजीकरण हो रहा है. कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की बहाली नहीं की जा रही है.
महिला अपराधों में वृद्धि भी बड़ा मुद्दा
महिला अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई है. अस्पतालों में पैरामेडिकल स्टाफ की कमी है. कोरोना काल में सामाजिक संस्थाओं के द्वारा दिए गए वेंटिलेटर धूल खा रहे हैं और मरीजों की मौत हो रही है. ओबीसी आरक्षण में सरकार कटौती कर रही है. वित्तविहीन शिक्षकों को मानदेय नहीं दिया जा रहा है. अतिक्रमण के नाम पर गरीबों को उजाड़ा जा रहा है. जनता फ्री बिजली का इंतजार कर रही है. राज्य सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि जो बिजली के बिल भेजे गए हैं उसमें 54 फीसदी गलत हैं.