Bareilly: उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव और लोकसभा चुनाव में सियासी परचम फहराने की कोशिश में जुटी समाजवादी पार्टी (सपा) संगठन के पुनर्गठन और विस्तार को लेकर जुट गई है. इसको लेकर जिलों से गोपनीय रिपोर्ट लेना शुरू कर दिया गया है. सपा राष्ट्रीय और यूपी से लेकर जिलों तक में नए पदाधिकारियों के नाम का ऐलान करने की तैयारी में है.
पार्टी के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो समाजवादी पार्टी संगठन में गैर-यादव ओबीसी नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी देने की तैयारी की गई है. इसके साथ ही एससी नेताओं का भी कद बढ़ाया जाएगा. सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ रिश्ते ठीक होने के बाद उनके बेटे आदित्य यादव को भी संगठन में बड़ी जिमेदारी दी जा सकती है.
सपा संगठन का विस्तार देश के अन्य राज्यों में करना चाहती है. इसलिए नेशनल और स्टेट कोऑर्डिनेटर बनाने की कवायद शुरू हो गई है. पिछले दिनों गुजरात में भी सपा का एक विधायक जीता है. महाराष्ट्र विधानसभा में भी सपा के विधायक हैं. मध्य प्रदेश में भी जीत मिली थी. मगर, अब देश के अन्य राज्यों में भी पहुंचने की कोशिशें की जा रही हैं.
भाजपा काफी समय से सपा पर परिवारवाद का निशाना साधती है. भाजपा का आरोप है कि उनके लिए पिछड़े का मतलब सिर्फ यादव और उनके कुनबे के लोग ही हैं. वहीं अब समाजवादी पार्टी अपने इस दांव के जरिए बीजेपी की तरफ से लगाए गए इन आरोपों का जवाब देने की भी कोशिश करेगी.
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सपा में सबसे बड़े मुस्लिम नेता के रूप में आजम खां को माना जाता था. मगर, उनके खिलाफ लगातार कार्रवाई हो रही है. उनकी विधान सभा की सदस्यता जाने के साथ ही वोट देने का अधिकार भी छीन लिया गया. अब, नई मुस्लिम लीडरशिप बनाने की कोशिश चल रही है. इसके लिए कुछ नेताओं को चयन करते हुए उन्हें जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद बरेली