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सरजू पांडेय करते थे मूल्यों की राजनीति, रांची में जन्मशताब्दी समारोह में बोले राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश

श्री हरिवंश ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को अपनी पुरानी पीढ़ी से, खासकर सरजू पांडेय जैसे लोगों के त्याग से सीखना चाहिए. लोगों को यह सीखना चाहिए कि सीमित संसाधनों में उन्होंने कैसे जीवन यापन किया. किस तरह एक साधारण दिखने वाले व्यक्ति ने असाधारण काम किये.

सरजू पांडेय सही मायने में जननेता थे. वे मूल्यों की राजनीति करते थे. देशभक्ति और त्याग की भावना उनमें कूट-कूटकर भरी थी. पूर्वांचल के जननेता के लिए देश के प्रति सेवा उनका कर्तव्य था. आज अगर कोई किसी आंदोलन का हिस्सा होता है, तो उसे उसके बदले में बहुत कुछ चाहिए होता है. लेकिन, सरजू पांडेय ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने 20 बीघा जमीन और ताम्रपत्र लौटा दिया. आज समाज को उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है. सरजू पांडेय सरीखे देशभक्त को याद करना, उनके ऋण से उऋण होने का अवसर है. इसलिए मैं ऐसे कार्यक्रमों में हमेशा शामिल होता हूं.

टेक्नोलॉजी ने पूरी दुनिया को बदल दिया

राज्यसभा के उपसभापति ने रांची प्रेस क्लब में आयोजित स्मृति सभा में बौद्धिक केंद्र और टेक्नोलॉजी के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी ने पूरी दुनिया को बदल दिया है. आने वाले दिनों में इंसान की जिंदगी में टेक्नोलॉजी का हस्तक्षेप और बढ़ने वाला है. खासकर जिस तरह चैट-जीपीटी ने चीजों को आसान बना दिया है, आने वाले दिनों में लोगों के लिए रोजगार का संकट उत्पन्न हो जायेगा. इसलिए हमें अपने मूल्यों को नहीं भूलना चाहिए.

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सरजू पांडेय के त्याग से सीखे आने वाली पीढ़ी

श्री हरिवंश ने कहा कि आने वाली पीढ़ी को अपनी पुरानी पीढ़ी से, खासकर सरजू पांडेय जैसे लोगों के त्याग से सीखना चाहिए. लोगों को यह सीखना चाहिए कि इतने बड़े जननेता कितना साधारण जीवन जीते थे. किस तरह एक साधारण दिखने वाले व्यक्ति ने असाधारण काम किये. उन्होंने कहा कि देश की एकजुटता के लिए उन्होंने संसद में अपनी आवाज बुलंद की. कम्युनिस्ट पार्टी के थे, लेकिन जब देश की बात आती, तो वे पार्टी लाइन से हटकर बात करते थे. अटल बिहारी वाजपेयी, मधु लिमये के साथ मिलकर संसद में अनुच्छेद 370 के खिलाफ खुलकर बोले थे. हालांकि, उनकी पार्टी तब कांग्रेस के उस प्रस्ताव के समर्थन में थी.

सभी दलों के लोगों से थे सरजू पांडेय के आत्मीय संबंध : अशोक भगत

पद्मश्री अशोक भगत ने इस अवसर पर सरजू पांडेय के गुणों को याद किया. कहा कि मजदूरों, मजलूमों की आवाज थे सरजू पांडेय. कम्युनिस्ट होते हुए भी सभी दलों में उनका सम्मान था. सभी दलों के लोगों से उनके अच्छे संबंध थे. तब पार्टियां अलग-अलग थीं, लोगों की विचारधारा अलग-अलग थी, लेकिन व्यक्तिगत जीवन में कभी उसका असर नहीं देखा गया.

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सरजू पांडेय जैसे नेता को याद करने की परंपरा शुरू करें : बैजनाथ मिश्र

झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्र ने श्रमिकों, शोषितों, पीड़ितों के लिए सरजू पांडेय के द्वारा किये गये कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि रसड़ा से अगर सरजू पांडेय सांसद चुने गये, तो अपने कार्यों की बदौलत चुने गये. वह किसी जाति विशेष के नेता नहीं थे. सभी के नेता थे. राष्ट्रीय स्तर के नेता थे. लेकिन, आज उन्हें लोग याद नहीं करते, क्योंकि वह जाति-धर्म से परे थे. हमें ऐसे नेताओं को याद करने की परंपरा शुरू करनी चाहिए. सरजू पांडेय के पोते और स्मृति न्यास के अध्यक्ष ऋषि अजित पांडेय ने कॉमरेड पांडेय से जुड़ी स्मृतियां साझा की. कार्यक्रम का संचालन डॉ संतोष मिश्र ने किया.

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