मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए कहा है कि अगर किसानों की नहीं सुनी गई तो यह केंद्र सरकार दोबारा नहीं आयेगी. रविवार को झुंझुनूं में संवाददाताओं से बातचीत में मलिक ने कहा कि लखीमपुर खीरी मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का इस्तीफा उसी दिन होना चाहिए था.
लखीमपुर खीरी मामले (Lakhimpur Kheri Case) में मिश्रा के इस्तीफा नहीं दिए जाने पर मलिक ने कहा ‘बिल्कुल गलत है यह, लखीमपुर मामले में मिश्रा का इस्तीफा उसी दिन होना चाहिए था. वो वैसे ही मंत्री होने लायक नहीं हैं.’ मलिक ने कहा कि ‘जिनकी सरकारें होती हैं उनका मिजाज थोड़ा आसमान में पहुंच जाता है उन्हें यह दिखता नहीं है कि इनकी तकलीफ कितनी है, लेकिन वक्त आता है जब उन्हें देखना भी पड़ता है और सुनना भी पड़ता है. अगर किसानों की नहीं मानी गई तो यह सरकार दोबारा नहीं आयेगी.’
मलिक ने किसानों से जुडे़ एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, ‘किसानों के साथ ज्यादती हो रही है, वो 10 महीने से पड़े हैं, उन्होंने घर बार छोड़ रखा है, फसल बुवाई का समय है और वे अब भी दिल्ली में पड़े हैं तो उनकी सुनवाई करनी चाहिए सरकार को.’
क्या राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर वे किसानों के साथ खड़े होंगे? इस पर मलिक ने कहा, ‘ मैं तो खड़ा ही हूं उनके साथ, पद छोड़ने की उसमें कोई जरूरत नहीं है, जब जरूरत पडे़गी तो वो भी छोड़ दूंगा.. लेकिन मैं उनके साथ हूं .. उनके लिये मैं प्रधानमंत्री, गृह मंत्री सबसे झगड़ा कर चुका हूं. सबको कह चुका हूं कि यह गलत कर रहे हो यह मत करो.’
मलिक के बयान से सियासी सरगर्मी तेज– बता दें कि सत्यपाल मलिक के इस बयान से यूपी की सियासी सरगर्मी तेज हो गई है. सत्यपाल मलिक पश्चिमी यूपी के कद्दावर नेता माने जाते हैं. राज्यपाल से पहले वे बीजेपी में कई पदों पर रह चुके हैं. चुनावी साल में किसान मुद्दों पर उनके इस बयान के बाद बीजेपी खेमे में हड़कंप मचा है.
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