बाबुल के बयान पर बमके सौगत रॉय, बोले, बंगाल से पहले उत्तर प्रदेश में लगाओ राष्ट्रपति शासन

केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के बयान पर तृणमूल कांग्रेस के सीनियर नेता और सांसद सौगत राय को गुस्सा आ गया. उन्होंने कहा कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार अगर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सोच रही है, तो उसे सबसे पहले उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए, जहां कानून का शासन खत्म हो गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 21, 2020 3:36 PM

कोलकाता : केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के बयान पर तृणमूल कांग्रेस के सीनियर नेता और सांसद सौगत राय को गुस्सा आ गया. उन्होंने कहा कि केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार अगर पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सोच रही है, तो उसे सबसे पहले उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए, जहां कानून का शासन खत्म हो गया है.

दरअसल, केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने शुक्रवार को कहा था कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस को अपने तरीकों में सुधार लाना चाहिए. उसे ‘मतदाताओं को डराने-धमकाने’ से परहेज करना चाहिए. अन्यथा ऐसी चीजों पर गौर करने के लिए संविधान में प्रावधान हैं. इस पर राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की चुनौती दे दी.

श्री सुप्रियो हाल ही में पश्चिम बंगाल में भाजपा के 130 से अधिक कार्यकर्ताओं की कथित रूप से हत्या किये जाने का संदर्भ दे रहे थे. राज्य में कानून-व्यवस्था ध्वस्त होने का आरोप लगाते हुए उन्होंने तृणमूल कांग्रेस से कहा कि वह अपने तौर-तरीके सुधारे और मतदाताओं को डराने-धमकाने से बाज आये.

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दिलीप घोष बोले : तृणमूल को हराकर सत्ता में आयेंगे

केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के बयान के बाद शुरू हुए आरोप-प्रत्यारोप के दौर में बंगाल भाजपा के प्रमुख दिलीप घोष ने कहा कि पार्टी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के पक्ष में नहीं है. आगामी चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को हराकर वह सत्ता में आयेगी.

बाबुल सुप्रियो ने एक लोकल न्यूज चैनल से बातचीत में कहा था, ‘ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस को अपने तरीकों में सुधार लाना चाहिए. चुनाव में कुछ ही महीने रह गये हैं. अगर तृणमूल सदस्यों को लगता है कि वे मतदाताओं को डरा सकते हैं और राजनीतिक हिंसा में लिप्त रह सकते हैं, तो संविधान में ऐसी चीजों का ध्यान रखने के लिए प्रावधान हैं.’

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आसनसोल से लोकसभा सदस्य श्री सुप्रियो ने आगे कहा, ‘अगर तृणमूल कांग्रेस को लगता है कि केंद्र में कमजोर सरकार है, तो वह गलत है. भाजपा को कुछ करने की जरूरत नहीं है. हिंसा और अराजकता से प्रभावित ऐसे राज्यों के संबंध में संविधान में प्रावधान किया गया है.’ श्री सुप्रियो ने दावा किया कि राज्य के लोगों ने विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट देने का मन बना लिया है. चुनाव के अगले साल अप्रैल-मई में होने की संभावना है.

उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि जिन लोगों ने सरकार में लाने के लिए तृणमूल को वोट दिया, वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से मौजूदा सरकार को हटायें.’ बाबुल सुप्रियो के इस दावे पर भाजपा नेता दिलीप घोष ने कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रपति शासन लगाने के पक्ष में नहीं है, लेकिन राज्य में जारी राजनीतिक हिंसा के मद्देनजर कुछ नेता इसकी मांग जरूर कर रहे हैं.

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श्री घोष ने संवाददाताओं से कहा, ‘राज्य में जिस तरह से लोकतंत्र की हत्या की जा रही है, और हर दिन हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या हो रही है. ऐसे में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हमारे कुछ नेता राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन पार्टी ने राज्य में अनुच्छेद 356 लगाने का अनुरोध नहीं किया है. हम विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को हरायेंगे.’

राष्ट्रपति शासन की ओर इशारा कर रहे भाजपा नेता

तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि भाजपा नेता राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की ओर पर इशारा कर रहे हैं. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ब्रत्य बसु ने कहा, ‘मैं भाजपा को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की चुनौती देता हूं. अगर उनमें हिम्मत है तो लगायें.’ तृणमूल सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘अगर वह बंगाल में अनुच्छेद 356 लागू करने की बात कर रहे थे, तो उन्हें सबसे पहले उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की बात करनी चाहिए, जहां कानून का शासन समाप्त हो गया है.’

Posted By : Mithilesh Jha

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