बकरी के बच्चे की जान बचाने के लिये मुर्गे ने गंवाई जिंदगी, मालिक ने खेत में दफना 500 लोगों को कराया भोज

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में एक जिले के फतनपुर थानाक्षेत्र के बेहदौल कला गांव में डॉ. शालिकराम सरोज अपना क्लीनिक चलाते हैं. उन्होंने घर पर एक बकरी और एक मुर्गा पाल रखा था. मुर्गे को पूरा परिवार घर के सदस्य की तरह मानता था. उसका नाम लाली था. डॉ. शालिकराम ने मीडिया को बताया...

By Prabhat Khabar News Desk | July 21, 2022 1:57 PM

Pratapgarh News: पशु-पक्षी पालने वालों का उनसे एक अलग ही नाता होता है. अनबोलता धन कहे जाने वाले पशु-पक्षी उनके परिवार का एक सदस्य बन जाता है. उसकी तबीयत खराब होती है तो पशुपालक छटपटा पड़ता है. मगर आज यह खबर कुछ अगल है. यूपी के प्रतापगढ़ में अपने पालतू मुर्गे की मौत के बाद शख्स ने 500 लोगों को भोज कराया. उसके शव को अपने खेत में दफन कर उसे श्रद्धांजलि दी है. अब यह खबर काफी वायरल हो रही है.

उन्होंने एक फैसला किया…

उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में एक जिले के फतनपुर थानाक्षेत्र के बेहदौल कला गांव में डॉ. शालिकराम सरोज अपना क्लीनिक चलाते हैं. उन्होंने घर पर एक बकरी और एक मुर्गा पाल रखा था. मुर्गे को पूरा परिवार घर के सदस्य की तरह मानता था. उसका नाम लाली था. डॉ. शालिकराम ने मीडिया को बताया कि बीती 8 जुलाई को एक कुत्ते ने डॉ. शालिकराम की बकरी के बच्चे पर हमला कर दिया था. वहां मौजूद मुर्गा लाली उस बकरी के बच्चे को बचाने के लिए कुत्ते से भिड़ गया. इस जंग में बकरी का बच्चा तो बच गया लेकिन लाली को कुत्ते ने बुरी तरह से घायल कर दिया. 9 जुलाई की शाम को लाली ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया. पूरा परिवार लाली को श्रद्धांजलि देना चाहता था. ऐसे में उन्होंने एक फैसला किया.

चर्चा अब पूरे सूबे में हो रही

मुर्गे के शव को डॉ. शालिकराम ने अपने घर के पास ही दफन कर दिया. उन्होंने इसके बाद पूरे रीति-रिवाज के साथ उसकी तेरहवीं मनाई. आस-पास के लोगों को भी आश्चर्य हो गया. बाकायदे लाली के गम में डॉ. शालिकराम ने सिर के बाल भी मुंडवा दिये. बुधवार को उसकी याद में तेरहवीं का भोजन तैयार करवाया गया. शाम छह बजे से रात करीब दस बजे तक 500 से अधिक लोगों ने तेरहवीं में पहुंचकर खाना खाया. इसकी चर्चा अब पूरे सूबे में हो रही है.

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