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Sawan Somwar 2022: सावन का पहला सोमवार आज, काशी में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

Sawan Somwar 2022: 14 जुलाई से सावन के पवित्र महीने की शुरुआत हो चुकी है. इस महीने में सावन के चार सोमवार होंगे और सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई यानी आज है. इस मौके पर काशी में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 18, 2022 7:23 AM

Varanasi News: सावन के पवित्र महीने के शुरूआत 14 जुलाई से हो चुकी है. इस महीने में सावन के चार सोमवार होंगे और सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई यानी आज है. हिंदू भगवान शिव की पूजा करने के लिए सावन के महीने को एक शुभ समय मानते हैं, जिसे श्रावण मास भी कहा जाता है. सावन माह को लेकर जानकारी देते हुए पण्डित ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि इस महीने के दौरान, भक्त प्रत्येक सोमवार को उपवास रखते हैं, जिसे श्रवण सोमवार या सावन सोमवार के नाम से जाना जाता है.

सावन के पहले सोमवार को लेकर वाराणसी एक बार फिर से केसरिया रंग में रंग चुंका है. बम बोल के जयकारे के साथ कांवरिये गंगा में स्नान और फिर बाबा का जलाभिषेक कर रहे हैं. यहां आने वाले हर भक्त के मुख से बरबस ही निकल पड़ता है ‘भोले भंडारी तेरी काशी सबसे न्यारी. श्रावण मास में बाबा विश्वनाथ अपने भक्तों की हर मुराद को पूरा करते हैं. पूरे एक माह चलने वाले इस पवित्र महीना में देवी देवताओं के साथ धरती पर भक्त भी बाबा का जलाभिषेक कर प्रसन्न करते हैं.

माना जाता है कि इस माह में बाबा का जलाभिषेक करने से बाबा भोले प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मुरादें पूरी करते हैं ,सावन माह भोले भंडारी को प्रिय हैं और पूरे सावन बाबा काशी नगरी में मां शक्ति के साथ उदयमान रहते हैं. काशी नगरी को भोले शंकर ने खुद अपने हाथों से बसाया है. श्रावण मास में बाबा विश्वनाथ अपने भक्तों की हर मुराद को पूरा करते हैं. देश के कौने कौने से बाबा के भक्त त्रिलोक से न्यारी नगरी काशी पहुंचते हैं. भगवान शिव को आशुतोष भी कहा जाता है और शिव बड़ी ही आसानी से अपने भक्तों पर खुश होकर अनुकम्पा बरसाते हैं.

दरअसल, पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से विष निकला था. इस विष को पीने के लिए शिव भगवान आगे आए और उन्होंने विषपान कर लिया. जिस माह में शिवजी ने विष पिया था वह सावन का माह था. विष पीने के बाद शिवजी के तन में ताप बढ़ गया. सभी देवी – देवताओं और शिव के भक्तों ने उनको शीतलता प्रदान करने के लिए उनका जलाभिषेक करने लगे ताकि उनको ठंडक पहुंचे.

शिवजी के विषपान से उत्पन्न ताप को शीतलता प्रदान करने के लिए मेघराज इंद्र ने भी बहुत वर्षा की थी. इससे भगवान शिव को बहुत शांति मिली. इसी घटना के बाद सावन का महीना भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है. सारा सावन, भगवान शिव को जल अर्पित किया जाता है. महाशिवरात्रि के बाद पूरे वर्ष में यह दूसरा अवसर होता है जब भग्वान शिव की पूजा बडे़ ही धूमधाम से मनाई जाती है.

रिपोर्ट- विपिन सिंह

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