Varanasi News: सावन महीने (Sawan) का पहला सोमवार 18 जुलाई को है. मान्यतानुसार सावन का महीना शिव उपासना के लिए सबसे श्रेष्ठ (Best) है और भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो भक्तों के पूजन से अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि वे बहुत भोले हैं, इसलिए उन्हें भोले बाबा भी कहा जाता है. वैसे तो शिव की पूजा कभी भी की जा सकती है, लेकिन सावन के पूरे महीने में शिव पूजन करने के लिए सोमवार का दिन श्रेष्ठ माना जाता है. आइए ज्योतिषाचार्य पण्डित पवन त्रिपाठी से जानें सावन के प्रत्येक सोमवार के दिन शिव जी का पूजन कैसे करना चाहिए…
पण्डित पवन त्रिपाठी बताते हैं कि, जब प्रकृति प्रफुल्लित (happy) होती हैं तो तब सावन आता है. बहुत से शिवलिंग पहाड़ों पर है जो कि ज्येष्ठ की गर्मी में तपते है. उनपर जब सावन की बूंदे पड़ती हैं तो चारों तरफ़ हरियाली छा जाती हैं. इसलिए भगवान शिव को सावन बहुत प्रिय है. इस महीने का संबंध समुद्र मंथन के समय से है. यह समय भावनात्मक घटना से भी जुड़ा है, जब आदिनाथ भगवान शंकर ने समस्त प्रकृति और चराचर जगत को हलाहल विष से बचाने के लिए अपने कंठ में धारण किया था. इसीलिए भगवान शिव के तपते शरीर पर धारा प्रवाह जल चढ़ाया जाता हैं.
इस बार सावन की शुरुआत 14 जुलाई से हो रही है. बहुत से भक्त सावन में एक टाइम भोजन करते हैं और कुछ निराहार भी सावन महीने भर व्रत रखते हैं. सावन में भगवान शिव की पूजा की प्रक्रिया (worship process) बहुत ही आसान है. आपको यदि आचार्य और पुरोहित नहीं मिल रहे हैं, तो आप घर पर भी आसानी से भगवान शिव की आराधना कर सकते हैं. शुभ योग में सावन के पहले सोमवार के दिन भगवान शिव को कच्चा दूध, गंगाजल, बेलपत्र, काले तिल, धतूरा, बेलपत्र, मिठाई आदि अर्पित करना चाहिए और विधिवत पूजा करनी चाहिए.
शिव पुराण में कई चीजों से भगवान शिव के अभिषेक करने का फल बताया गया है. इसमें यह भी बताया गया कि किन चीजों से अभिषेक के क्या फायदे होते हैं. जलाभिषेक से सुवृष्टि, कुशोदक से दुखों का नाश, गन्ने के रस से धन लाभ, शहद से अखंड पति सुख, कच्चे दूध से पुत्र सुख, शक्कर के शर्बत से वैदुष्य, सरसों के तेल से शत्रु का नाश और घी के अभिषेक से सर्व कामना पूर्ण होती है.
भगवान शिव की पूजा का सर्वश्रेष्ठ काल-प्रदोष समय माना गया है. किसी भी दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले और एक घंटा बाद के समय को प्रदोषकाल कहते हैं. सावन में त्रयोदशी, सोमवार और शिव चैदस प्रमुख हैं. भगवान शंकर को भष्म, लाल चंदन, रुद्राक्ष, आक के फूल, धतूरे का फल, बेलपत्र और भांग विशेष प्रिय हैं. उनकी पूजा वैदिक, पौराणिक या नाम मंत्रों से की जाती है. सामान्य व्यक्ति ऊँ नमः शिवाया या ऊँ नमों भगवते रुद्राय मंत्र से शिव पूजन और अभिषेक कर सकते हैं.
भगवान शिव को सबसे प्रिय फल के रूप में धतूरा पसंद है. शिव को धतूरा प्रिय होने के पीछे संदेश यही है कि शिवालय मे जाकर शिवलिंग पर केवल धतूरा ही न चढ़ाएं, बल्कि अपने मन और विचारों की कड़वाहट भी शिवजी को अर्पित करें. ऐसा करने से ही शिवजी प्रसन्न होते हैं. क्योंकि “शिव” शब्द के साथ सुख, कल्याण व अपनत्व भाव ही जुड़े हैं. इसके बाद शिवलिंग की आधी परिक्रमा करें. हिमाचल की पुत्री पार्वती देवी ने सावन में ही भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी.
सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान जो भक्त पूरे श्रद्धा भाव से पूजा, जल और दूध का अभिषेक करते हैं उनको समस्त पापों से मुक्ति मिलती है. ऐसा माना जाता है कि यदि कुंवारी कन्याएं सावन के महीने में विधि पूर्वक शिव पूजन करती हैं तो उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति होती है. यही नहीं जो भक्त इस पूरे महीने भक्ति भाव से पूजन करता है. उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
रिपोर्ट- विपिन सिंह