Vikas Dubey Encounter: जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षतावाले न्यायिक आयोग को भंग करने की याचिका खारिज

लखनऊ : विकास दुबे एनकाउंटर मामले में गठित जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षतावाले न्यायिक आयोग को भंग करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया. पीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. बुधवार को पीठ ने सुनवाई पर फैसला देते हुए याचिका को खारिज कर दिया

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 19, 2020 12:40 PM

लखनऊ : विकास दुबे एनकाउंटर मामले में गठित जस्टिस बीएस चौहान की अध्यक्षतावाले न्यायिक आयोग को भंग करने की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया. पीठ ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था. बुधवार को पीठ ने सुनवाई पर फैसला देते हुए याचिका को खारिज कर दिया

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील घनश्याम उपाध्याय पर सवाल उठाते हुए सुनवाई के दौरा ही कहा था कि जस्टिस बीएस चौहान सुप्रीम कोर्ट के एक सम्मानित न्यायाधीश रहे हैं. वह हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं. वकील की ओर से न्यायमूर्ति बीएस चौहान के पारिवारिक कनेक्शन पर मीडिया में आये आर्टिकल दिखाने पर पीठ ने पूछा था कि उनके रिश्तेदारों से कभी कोई समस्या नहीं थी. अब आपको कोई समस्या क्यों है?

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हम एक समाचार पत्र के आधार पर इस न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पर आकांक्षाएं नहीं रखेंगे. क्या कोई रिश्तेदार घटना या जांच से जुड़ा है? वह निष्पक्ष क्यों नहीं हो सकते ? ऐसे न्यायाधीश हैं जिनके पिता/ भाई सांसद हैं. क्या आप कह रहे हैं कि वे सभी पक्षपाती न्यायाधीश हैं? क्या किसी राजनीतिक दल का संबंध कोई गैरकानूनी कार्य है? सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि न्यायमूर्ति बीएस चौहान की नियुक्ति के खिलाफ लगाए गए आरोप अपमानजनक हैं.

याचिकाकर्ता घनश्याम दुबे ने अर्जी में कहा है कि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस बीएस चौहान के भाई और समधी भाजपा के नेता हैं जबकि पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता कानपुर के आईजी के रिश्तेदार हैं, जहां विकास दुबे का कथित एनकाउंटर हुआ था।ऐसे में ये आयोग निष्पक्ष जांच नहीं कर पाएगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से जस्टिस शशिकांत और पूर्व डीजीपी के एल गुप्ता को हटाने से इनकार करते हुए आयोग के पुनर्गठन की अर्जी खारिज कर दी थी.

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा, कि जांच आयोग में एक सुप्रीम कोर्ट के जज हैं, एक हाईकोर्ट के जज भी हैं. एक अधिकारी के कारण जांच आयोग को समाप्त करने पर विचार नहीं किया जा सकता है.

posted by ashish jha

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