SGPGI ने फिर रचा नया इतिहास, रोबोटिक्स सर्जरी से निकाला थायराइड कैंसर का ट्यूमर
एसजीपीजीआई लखनऊ के सर्जन डॉ. ज्ञान चन्द ने रोबोटिक्स विधि से ऑपरेशन किया. इसमें रचना के गले में कैंसर से ग्रसित थायरॉइड ग्रंथि समेत कई गाठों को बिना गले में चीरा लगाए सफलता पूर्वक निकाल दिया गया.
Lucknow: राजधानी के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) ने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है. यहां उत्तर प्रदेश में पहली और संपूर्ण भारत के किसी भी सरकारी संस्थान में होने वाली पहली ऐसी सर्जरी की गई, जिसमें थायरॉइड कैंसर को रोबोटिक सर्जरी के जरिए निकाला गया है.
बिना गले में चीरा लगाए संभव नहीं थी सर्जरी
प्रयागराज निवासी 21 वर्षीय अविवाहित युवती के गले में थायरॉइड की गांठ हो गई थी, जो लगातार बढ़ रही थी. प्रयागराज के कमला नेहरू कैंसर अस्पताल में आवश्यक जांचों के बाद वहां के डॉक्टरों ने उन्हें बताया गांठ काफी बढ़ चुकी है और गांठ में कैंसर है. इन जटिलताओं के चलते इसकी सर्जरी बिना गले में चीरा लगाये संभव नहीं है. ऐसे में सर्जरी के बाद चीरे-टांके के निशान को लेकर रोगी और उसका परिवार बहुत असहज और निराश था.
एसजीपीजीआई की जांच में सामने आया पैपिलरी थायरॉइड कैंसर
बिना गले में चीरा लगाये सर्जरी कराने के लिए कमला नेहरू अस्पताल के डॉक्टरों ने रोगी को एसजीपीजीआई लखनऊ के रोबोटिक थायरॉइड सर्जन डॉ. ज्ञान चन्द के पास रेफर किया. डॉ. ज्ञान द्वारा आवश्यक जांच के बाद पाया गया कि रोगी को पैपिलरी थायरॉइड कैंसर है, जिसे रोबोटिक विधि द्वारा बिना गले में चीरा लगाये निकाला जा सकता है.
Also Read: अखिलेश का भाजपा पर तंज, बोले- इन्वेस्टर्स समिट धोखा, सिर्फ एमओयू साइन होने का मतलब निवेश आना नहीं…
चार घंटे चला ऑपरेशन
परिवार की सहमति के बाद डॉ. ज्ञान ने चार घंटे चले ऑपरेशन में रचना के गले में कैंसर से ग्रसित थायरॉइड ग्रंथि समेत कई गाठों को बिना गले में चीरा लगाए सफलता पूर्वक निकाल दिया. इस ऑपरेशन में डॉ. ज्ञान के साथ डॉ. अभिषेक प्रकाश, डॉ. सारा इदरीस व डॉ. रीनेल शामिल रहे।. साथ ही एनेस्थीसिया में डॉ. सुजीत गौतम और उनकी टीम ने सहयोग किया. संस्थान के निदेशक प्रो. आर के धीमन एवं एन्डोसर्जरी विभाग के अध्यक्ष प्रो. गौरव अग्रवाल के निरंतर मार्गदर्शन एवं प्रोत्साहन से ही यह कठिन सर्जरी संभव हो पाई है.