Bareilly News: समाजवादी पार्टी (सपा) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा हो चुकी है. पिछली बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 55 सदस्य थे. मगर, इस बार 64 सदस्यीय कार्यकारिणी बनाई गई है. इसमें ओबीसी, एससी और अल्पसंख्यकों का खास ख्याल रखा गया है. अब सपा प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा करने की तैयारी में है.
प्रदेश कार्यकारिणी लगभग फाइनल हो गई है. इसमें पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के समर्थकों का खास ख्याल रखा जाएगा. इसमें उनके करीबी दीपक शर्मा, फरहत मियां समेट कई नाम हैं. इनको बड़ी जिम्मेदारियां देने की तैयारी है. क्योंकि, राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सिर्फ शिवपाल सिंह यादव को ही राष्ट्रीय महासचिव बनाया था.
लेकिन उनके लोगों को पद नहीं मिले. इसलिए उनके नजदीकियों को प्रदेश कार्यकारिणी में रखा जाएगा, तो वहीं उनके पुत्र आदित्य यादव को फ्रंटल संगठन का राष्ट्रीय पद दिया जाएगा. प्रदेश कार्यकारिणी का ऐलान बुधवार शाम तक या फिर यूपी की 5 एमएलसी सीट की 2 फरवरी को मतगणना के बाद होने की उम्मीद है.
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा के उपचुनाव के दौरान शिवपाल सिंह यादव ने सपा प्रत्याशी डिंपल यादव को काफी मेहनत से चुनाव लड़ाया था. इसके बाद शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) का सपा में ही ब्लॉक कर दिया था. इसके बाद शिवपाल सिंह यादव को पार्टी में बड़ा पद दिया गया है. उनके करीबियों और बेटे को जिम्मेदारी देने की तैयारी चल रही है.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बरेली से पूर्व सांसद वीरपाल सिंह यादव को प्रदेश महासचिव बनाया गया है. उनके नाम की राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव प्रो.रामगोपाल यादव ने मजबूत पैरवी की थी. मगर, अब प्रदेश कमेटी में बरेली के दो नेताओं को पद दिया जाएगा.उनके नाम कमेटी की प्रस्तावित सूची में हैं.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी में महासचिव बनने के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव यूपी के सभी 80 लोकसभा क्षेत्र में घूमेंगे.यहां कार्यकर्ता, मतदाता, और नजदीकियों मुलाकात कर सियासी नब्ज जानेंगे.यह फैसला लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर लिया गया है.इससे शिवपाल सिंह यादव अपने समर्थकों को सपा में एक्टिव करेंगे.इसके साथ ही जिलों के मुद्दे, समस्याओं को जानने के साथ ही संगठन का भी आंकलन करेंगे.
लोकसभा चुनाव 2019 में सपा ने बसपा के साथ गठबंधन किया था. मगर,अब सपा अकेले चुनाव लडेगी.पिछली बाद सपा को सिर्फ 5 लोकसभा सीट मिली थीं. इनमें से 2 लोकसभा सीट आजमगढ़ और रामपुर उपचुनाव में हार चुकी है.
रिपोर्ट मुहम्मद साजिद बरेली