UP Election 2022: इटावा की जसवंतनगर विधानसभा सीट पर ‘साइकिल’ दौड़ाएंगे शिवपाल यादव, जानें जमीनी समीकरण
चाचा शिवपाल सिंह यादव और उनके भतीजे एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच करीब 5 साल के बाद मनमुटाव खत्म हो पाया है.
Lucknow News: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 के महासमर में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव इटावा की जसवंत नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे. विधायक बनने के लिए शनिवार की देर शाम यह घोषणा की गई है. इटावा की जसवंत नगर सीट से वे चुनाव में अपना भाग्य आजमाएंगे. खास बात यह है कि वह इस सीट पर समाजवादी पार्टी के साइकिल चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतर रहे हैं.
शिवपाल ने बहुत किया इंतजार
इटावा की जसवंत नगर विधानसभा सीट से सपा एवं प्रसपा गठबंधन का प्रत्याशी बनाए जाने पर समाजवादी पार्टी नेतृत्व, क्षेत्र की जनता एवं प्रसपा कार्यकर्ताओं का आभार। pic.twitter.com/jSjt0CvnJt
— Shivpal Singh Yadav (@shivpalsinghyad) January 22, 2022
बता दें कि चाचा शिवपाल सिंह यादव और उनके भतीजे एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के बीच करीब 5 साल के बाद मनमुटाव खत्म हो पाया है. समाजवादी नेता के नाम पर जाने जाने वाले शिवपाल सिंह यादव ने यूपी में चुनावी घोषणा होने के करीब 6 माह पहले से ही भतीजे अखिलेश यादव के साथ वैचारिक मतभेदों को दूर करने की कोशिश शुरू कर दी थी. समय-समय पर उन्होंने अपनी विभिन्न जनसभाओं में इस बात का भी ऐलान किया था कि समाजवादी परिवार चुनाव से पहले एकजुट हो जाएगा. हुआ भी कुछ ऐसा ही.
अचानक बदल गए समीकरण
एक दिन अचानक यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव के घर पहुंच गए. कुछ देर की मैराथन बैठक के बाद जब दोनों मीडिया से मुखातिब होने के लिए बाहर आए तो इस बात की घोषणा कर दी गई यूपी का सबसे बड़ा सियासी परिवार एकजुट हो गया है. इसी क्रम में शनिवार की देर शाम इस बात पर मुहर लगा दी गई कि शिवपाल यादव जसवंत नगर से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. साथ ही, साइकिल चुनाव निशान के साथ व जल्दी स्थानीय जनता के सामने चुनाव प्रचार करना भी शुरू कर देंगे.
जसवंतनगर विधानसभा के समीकरण
इटावा जिले की जसवंतनगर सीट से पहली बार चुनाव लड़े थे वर्तमान में सपा संरक्षक की भूमिका निभाने वाले मुलायम सिंह यादव ने. 1967 के चुनावों में पहली बार सोशलिस्ट पार्टी ने मुलायम सिंह यादव को टिकट दिया था. इसके बाद से मुलायम सिंह यहां से लगातार चुनाव जीतते रहे. हालांकि, बाद में उन्होंने यह सीट अपने छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव के लिए छोड़ दी थी. उसके बाद से पांच बार लगातार शिवपाल ने यहां से जीत हासिल की.