Shooter Sumedha Pathak: काशी की बेटी सुमेधा पाठक ने एक बार फिर अपने शहर और प्रदेश के साथ-साथ देश का नाम रोशन किया है. इस बार काशी की बेटी ने भारतीय महिला शूटिंग टीम ने कोरिया के चांगवोन में खेले जा रहे वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट विश्वकप में 10 मीटर एयर राइफल इवेंट में रजत पदक को जीत कर अपने नाम किया है.
इवेंट में मध्यप्रदेश की रूबीना फ्रांसिस, सीकर की निशा कंवर व काशी की सुमेधा ने अपना लोहा मनवाया. सुमेधा का यह दूसरा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट है. इससे पहले वह फ्रांस में पैरा निशानेबाजी विश्व कप में देश के लिए रजत जीतने में कामयाब हुई थीं. सुमेधा ने यह रजत पदक जीतकर बड़ी उपलब्धि हासिल की है. इस इवेंट में कोरिया की टीम प्रथम और इंडिया की टीम दूसरे स्थान पर रही. इसके पहले भी सुमेधा ने फ्रांस में आयोजित पैरा वर्ल्ड कप में रजत पदक जीता है.
फ्रांस के चेटियारो में आयोजित पैरा निशानेबाजी विश्व कप में उन्होंने भारत के लिए रजत पदक जीता. काशी की सुमेधा ने अपने शानदार प्रदर्शन का सिललिसा जारी रखते हुए एकबार फिर से यह साबित किया है कि जीत जज्बा यदि दिल में है तो कोई भी रुकावट या शारीरिक बाध्यता उसे तोड़ नहीं सकती.
काशी की अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा पाठक ने पैरा निशानेबाजी के लिए शुरू से ही अपने ललक व हुनर को दिखाया है. दोनों पैरों से दिव्यांग सुमेधा पाठक के जीत का सफर इतना आसान नहीं था. सुमेधा को 2013 में रीढ़ की हड्डी में इंफेक्शन हुआ और कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया. दसवीं में पढ़ाई के दौरान हुई इस घटना ने सुमेधा की जिंदगी बदल दी, लेकिन काशी की बेटी ने हिम्मत नहीं हारी.
व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे देश के लिए स्वर्ण, रजत व कांस्य जीत रही हैं. सुमेधा 12वीं में दिव्यांग वर्ग में नेशनल टॉपर रहीं. महज छह महीने के अभ्यास में उन्होंने स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया. वह उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से लक्ष्मीबाई अवॉर्ड से भी सम्मानित हैं.
सुमेधा पाठक अपनी जीत का सारा श्रेय अपने पिता दवा व्यवसाई बृजेश पाठक को देती है. वे कहती हैं कि आज जो भी नाम और पहचान मिली है. वह सब मेरे पापा की बदौलत है. मेरे पापा मेरी लाइफलाइन हैं. उन्होंने मेरे लिए बहुत त्याग किया. अपने काम, दोस्तों और सोशल सर्किल सब पर मुझे प्राथमिकता दी. जितना समय वह मेरी देखरेख में व्यतीत करते हैं उतने में वह अपने व्यवसाय को न जाने कहां से कहां पहुंचा सकते थे. वह आज भी रोजाना मुझे मोटीवेट करते रहते हैं और कहते हैं रुक जाना नहीं तू हार के…. कहा जाता है कि हम अपने मां-बाप का ऋण कभी नहीं उतार सकते. क्योंकि उन्होंने हमें जन्म दिया है. मगर, मेरे पापा ने तो हमें नया जीवन देने के साथ ही मुश्किल हालात में कैसे जीना है, यह भी सिखाया है.
इतना ही नहीं सुमेधा के हौसले की सराहना खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं. जब पुलवामा में आतंकी हमले में शहीद जवानों के परिजनों की मदद के लिए 21 हजार रुपए का चेक रिलीफ फंड में सुमेधा ने दिया था. तब राहत का चेक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद सौंपा था. उस वक्त पीएम ने उनके लगन और मेहनत को देखकर सुमेधा से वादा किया था कि वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय स्तर का शूटिंग रेंज बनवाएंगे.
इधर काशी के लोगों में भी पदक जीतने की सूचना मिलते ही खुशी का माहौल है. सुमेधा को फोन व सोशल मीडिया पर बधाई देने वालों का तांता लग गया. इस इवेंट में कोरिया की टीम प्रथम और इंडिया की टीम दूसरे स्थान पर रही. सुमेधा भेलूपुर क्षेत्र की मानस नगर कॉलोनी में रहती हैं. उनकी उपलब्धि पर काशी में हर्ष का माहौल है. लौटने पर उनके भव्य स्वागत की तैयारी की जा रही है. सुमेधा ने जीत का श्रेय पिता, गुरु, कोच व काशी के लोगों को दिया है.
रिपोर्ट : विपिन सिंह