Lucknow: उत्तर प्रदेश के पुलिस विभाग में सोशल मीडिया पॉलिसी लागू कर दी गई है. इसमें कई अहम बिंदुओं को शामिल किया गया है. इनमें सबसे अहम है कि सरकारी कार्य या ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया का प्रयोग पुलिस अधिकारियों के लिए पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा. कांस्टेबल से लेकर आईपीएस अफसर तक यह प्रतिबंध लागू किया गया है. इसके अलावा वर्दी में रील बनाने चैटिंग करने या वर्दी में कार्य के समय बिना वजह फोटो डालने पर भी रोक लगाई गई है. सोशल मीडिया पॉलिसी के किसी भी बिंदु का उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाएगी.
पुलिस महानिदेशक देवेंद्र सिंह चौहान ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं. यूपी पुलिस की इस पॉलिसी को कई राज्यों और देशों की सोशल मीडिया नियमावली का अध्ययन करने के बाद लागू किया गया है. इसके प्रमुख बिंदुओं में ड्यूटी के दौरान सोशल मीडिया पर लगे रहने वाले पुलिसकर्मियों पर अब पूरी तरह से नकेल कस दी गई है. अब कोई पुलिसकर्मी या अफसर ड्यूटी के दौरान व्यक्तिगत तौर पर फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा. ड्यूटी के बाद भी वर्दी में रील बनाने पर पूरी तरह से पाबंदी होगी.
कार्यस्थल से सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर लाइव टेलीकास्ट को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है. ऐसा करना गोपनीयता का उल्लंघन माना जाएगा. कोचिंग, लेक्चर, लाइव प्रसारण, चैट वेबीनार आदि में बतौर अतिथि आमंत्रित किए जाने पर उसमें भाग लेने से पहले वरिष्ठ अधिकारी से अनुमति लेना अनिवार्य होगा.
अपने कार्यस्थल से संबंधित किसी वीडियो और इसके जरिए शिकायतकर्ता के संवाद का लाइव टेलीकास्ट, वीडियो, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करना भी वादी की निजता का उल्लंघन हो सकता है. इसलिए इस पर भी प्रतिबंध रहेगा.
सरकारी और व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से पुलिसकर्मी किसी भी प्रकार की कमाई नहीं कर सकेंगे, जब तक कि इस संबंध में उन्होंने सरकार की पूर्व स्वीकृति नहीं प्राप्त की हो. इसके साथ ही सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पुलिस कर्मी और अफसर व्यक्तिगत, व्यावसायिक कंपनी या उत्पाद सेवा का प्रचार प्रसार नहीं कर सकेंगे.
सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पुलिसकर्मियों द्वारा कोई ऐसी जानकारी साझा नहीं की जाएगी जो उन्हें अपनी विभागीय नियुक्ति के कारण प्राप्त हुई हो. ऐसी कोई भी जानकारी तभी साझा की जाएगी जब वह इसके लिए अधिकृत हों.
किसी भी यौन शोषण पीड़िता या किशोर-किशोरी तथा जुवेनाइल से संबंधित मामलों में पहचान या नाम व अन्य संबंधी विवरण सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया पर उजागर नहीं किया जाएगा. साथ ही जिन आरोपियों की शिनाख्त परेड बाकी हो, उनका चेहरा सरकारी एवं व्यक्तिगत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक करने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है.