बरेली को दंगे की आग से बचाने में नप गए एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, अखिलेश कुमार चौरसिया बने नए कप्तान
विशाल गंगवार पर बीडीए ने एफआईआर कराई थी. इसके पीछे भी उनके नजदीकी ही बताए जा रहे हैं. मगर, पुलिस के दबिश देने के बाद विशाल मुद्दा बन गया, जबकि इज्जतनगर इंस्पेक्टर संजय धीर को सस्पेंड कर दिया गया था, लेकिन भाजपा के बड़े नेता संतुष्ट नहीं थे.
Bareilly News: एसएसपी सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज जून के अंतिम सप्ताह में बरेली आए थे. वह सबसे कम दिन बरेली के कप्तान रहे हैं. उनके आने के बाद सावन माह शुरू हो गया. सावन में तीन बार बरेली को दंगे की आग में झोंकने की कोशिश की गई थी, लेकिन एसएसपी ने कुशल कार्यशैली से बचा लिया. इसके बाद शहर के प्रेमनगर में बिरयानी कांड, भोजीपुरा के मझौआं हेतराम में मुहर्रम पर बवाल, मीरगंज में हत्या और इज्जतनगर में गोवंश के अवशेष के नाम पर बरेली को बार-बार दंगे की आग में झोंकने की कोशिश की जाती रही. मगर, एसएसपी लगातार खुराफातियों के मंसूबों को फेल कर रहे थे. इसलिए ही बहुत छोटे से मामले को तूल दे दिया गया.
जानें अंदर की बात
दरअसल, विशाल गंगवार पर बीडीए ने एफआईआर कराई थी. इसके पीछे भी उनके नजदीकी ही बताए जा रहे हैं. मगर, पुलिस के दबिश देने के बाद विशाल मुद्दा बन गया जबकि इज्जतनगर इंस्पेक्टर संजय धीर को सस्पेंड कर दिया गया था, लेकिन भाजपा के बड़े नेता संतुष्ट नहीं थे. क्योंकि, नए कप्तान के चार्ज संभालते ही बहेड़ी विधानसभा में चुनाव के दौरान एक समुदाय के लोगों ने बस फूंकने और उपद्रव करने का मुकदमा पुलिस ने किया था. इस मामले को खत्म करने का दवाब था. इसको लेकर पहली ही मुलाकात में जिले के बड़े नेता एसएसपी से खफा हो गए थे. मगर, सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज ने पुलिस की तरफ से दर्ज मुकदमें में राहत नहीं दी. इससे टकराव बढ़ने लगा. पहले दंगे कराकर हटाने की की कोशिश की गई. इसके बाद सुभाषनगर थाने में प्रचारक और पुलिसकर्मियों की भिड़ंत को मुद्दा बना लिया. यह भी निपटा दिया.
ट्रांसफर होने का दुख
24 घंटे में मुकदमा एक्सपंज किया. भोजीपुरा में बवाल के बाद आरोपी जिला पंचायत सदस्य की गिरफ्तारी पर लखनऊ तक हंगामा मचाया. थाने का घेराव किया गया. शीशगढ़ में संप्रदाय विशेष के लोगों द्वारा एक युवक की हत्या के मामले में भी पुलिस कार्रवाई को भी मुद्दा बना लिया. मगर, विशाल गंगवार के मुद्दे के सहारे एसएसपी से नाखुश लोग कामयाब हो गए हैं. उनको लखनऊ मुख्यालय बुला लिया गया है. मगर, इससे बरेली की जनता को जरूर एक अच्छे अधिकारी के जल्दी ट्रांसफर होने का दुख है.
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नए कप्तान का रिकॉर्ड : एक साल में छह ट्रांसफर
सोशल मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, मई 1983 को लखनऊ में जन्में अखिलेश कुमार चौरसिया 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने लखनऊ में स्कूलिंग के बाद एनआईटी इलाहाबाद से बीटेक किया था. 2005 में इंडियन आयल में इंजीनियर रहे. कुछ समय डीआरडीओ में भी रहे, लेकिन इन नौकरियों में इनका मन नहीं लगा. इसलिए 2006 में वे दिल्ली आकर सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की और 2009 में सबसे पहले आईपीएस में सेलेक्शन हुआ. इसमें 292 रैंक आई. ट्रेनिंग के बाद इनकी आजमगढ़, सीतापुर, आगरा में पोस्टिंग हुई. बरेली में एसपी आरए रह चुके हैं. इसके बाद प्रतापगढ़ में एसपी रहे. उन्हें आगरा पीएसी के बाद एसपी औरैया बनाया गया. 5 महीने बाद एटीएस, एसपी के तौर पर आगरा भेजा गया, लेकिन वहां सिर्फ 1 दिन ही रह पाएं. वहां एसपी एटीएस की एक ही पोस्ट थी. इसलिए एसपी इंटेलिजेंस आगरा बनाया गया. इसके बाद उनका झांसी ट्रांसफर हो गया. इसके बाद सरकार बदलते ही उनका पोस्टिंग एटा कर दी गई,फिर फैजाबाद जिले की कमान संभाली. वे एसपी और एसएसपी भी रहे.
इन जिलों के रह चुके हैं कप्तान
अखिलेश मूल रूप से लखनऊ के ही रहने वाले हैं. प्रदेश में अपनी तैनाती के दौरान वह कई जिलों में बतौर पुलिस कप्तान कार्यरत रहे. अखिलेश चौरसिया अपने 13 साल के कैरियर में औरैया, प्रतापगढ़, खीरी, झांसी, एटा और अयोध्या जिले में पुलिस कप्तान रह चुके हैं. स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के कारण उन्हें अयोध्या से हटाया गया. एक मार्च 2019 को वह प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में चले गए थे. वहां से 2020 में लौट आएं.
एक्सक्लूसिव रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद