नेपाल की देवशिलाओं से बनेगी राम-सीता की प्रतिमा, आज गोरखपुर पहुंचेंगे सदियों पुराने पत्थर, CM योगी करेंगे पूजन
Gorakhpur News: नेपाल से अयोध्या पहुंचने से पहले आज गोरखपुर में देवशिलाओं का स्वागत होगा. जिसकी अगुवाई गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ करेंगे. सोमवार को मुख्यमंत्री की अगुवाई में नेपाल के काली गंडकी नदी से 6 करोड़ वर्ष पुरानी शालिग्राम की दो देवशिलाओं का भव्य स्वागत होगा.
Gorakhpur News: राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली रामलला की नई मूर्ति के लिए नेपाल से 6 करोड़ वर्ष पुरानी शालिग्राम की दो देवशिलाएंआज गोरखपुर पहुंच जाएंगी. यहां इनका भव्य स्वागत होगा. इन दोनों देवशिलाओं से भगवान राम की बाल स्वरूप व माता सीता के विग्रह का निर्माण किया जाएगा. निर्माण का निर्णय राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने लिया है. मूर्ति निर्माण के दौरान शीला की कटाई-छटाई से निकलने वाले कड़ों का विग्रह निर्माण में ही प्रयोग होगा.
आज गोरखपुर में देवशिलाओं का स्वागत
नेपाल से अयोध्या पहुंचने से पहले आज गोरखपुर में देवशिलाओं का स्वागत होगा. जिसकी अगुवाई गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ करेंगे. मंगलवार को मुख्यमंत्री की अगुवाई में नेपाल के काली गंडकी नदी से 6 करोड़ वर्ष पुरानी शालिग्राम की दो देवशिलाओं का भव्य स्वागत होगा.
एक फरवरी रथ अयोध्या में करेगा प्रस्थान
देवशिला का रात्रि विश्राम गोरखनाथ मंदिर में होगा. 1 फरवरी की सुबह विधि विधान से रथ अयोध्या के लिए प्रस्थान करेगा. गोरखनाथ मंदिर प्रबंधन ने मुख्यमंत्री योगी के निर्देशन में देवशिला के स्वागत की तैयारी शुरू कर दी है. देवशिला रथ के साथ आने वाले लोगों के विश्राम की व्यवस्था मंदिर परिसर स्थित हिंदू सेवा आश्रम में की गई है, और रथ मंदिर परिषद में खड़ा किया जाएगा.
रथ के साथ 100 लोग रहेंगे मौजूद
विश्व हिंदू परिषद के प्रांत प्रचारक दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि गोरखपुर शहर में रथ का प्रवेश आज दोपहर बाद होने की संभावना है. प्रवेश द्वार जगदीशपुर में बनाया गया है. जहां भव्य स्वागत करने की तैयारी की गई है. जगदीशपुर से लेकर गोरखनाथ मंदिर तक पुष्प वर्षा की जाएगी. रथ के साथ 100 लोग मौजूद रहेंगे. उन्होंने बताया कि इनमें जानकी मंदिर जनकपुर के संत महात्मा और विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र पंकज भी मौजूद होंगे.
नेपाल की काली गंडकी से निकाली गई, देवशिला यात्रा कल ही भारत नेपाल की जटही सीमा से मधुबनी में प्रवेश कर चुकी है. यह यात्रा उन स्थलों से गुजरेगी, जहां कभी प्रभु श्री राम और माता जानकी की कदम पड़े थे.