Samajwadi Party: विधानसभा में बढ़ी तो विधान परिषद में कम हुई समाजवादी पार्टी की ताकत
समाजवादी पार्टी की ताकत विधान परिषद में कम होती जा रही है. स्थानीय निकाय चुनाव में 36 सीटें गंवाने के बाद अब विधान परिषद में उसके तीन अन्य मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल भी गरुवार को समाप्त हो गया है. अब विधान परिषद में सपा के 14 विधायक ही बचे हैं. जबकि बीजेपी के एमएलसी की संख्या 66 हो गयी है.
Lucknow: समाजवादी पार्टी के तीन विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल गुरुवार को खत्म हो गया. यूपी विधान परिषद में सपा का प्रतिनिधित्व करने वाले बलवंत सिंह रामूवालिया, जाहिद हसन उर्फ वसीम बरेलवी और मधुकर जेटली अब सदन के सदस्य नहीं रहेंगे. तीनों ही विधान परिषद के मनोनीत सदस्य थे. अब इनकी जगह बीजेपी के कार्यकर्ताओं को मिलेगी.
समाजवादी पार्टी की विधान सभा में संख्या भले ही बढ़ गयी हो लेकिन विधान परिषद में उसकी ताकत लगातार कम हो रही है. स्थानीय निकाय चुनाव में 36 सीटें गंवाने के बाद अब उसके तीन मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल भी समाप्त हो गया है. अब विधान परिषद में सपा के 14 एमएलसी ही बचे हैं. जबकि बीजेपी के एमएलसी की संख्या 66 हो गयी है.
विधान परिषद की मनोनीत कोटे की इन सीटों पर अब बीजेपी के कार्यकर्ता काबिज हो जायेंगे. उम्मीद है कि बीजेपी अपने उन मंत्रियों को मनोनीत करेगी, जो अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. इनमें जसवंत सैनी, जेपीएस राठौर, नरेंद्र कश्यप, दानिश अंसारी, दयाशंकर मिश्र दयालू ऐसे मंत्री हैं, जो अभी किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. इनमें से कोई तीन मंत्री एमएलसी बन जायेंगे.
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उधर समाजवादी पार्टी को अगला झटका मई माह में फिर लगेगा. 26 मई को सपा के तीन अन्य विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इनमें अखिलेश यादव के खास डॉ. राज्यपाल कश्यप, संजय लाठर और अरविंद कुमार हैं. संजय लाठर वर्तमान में विधान मंडल दल के नेता भी हैं. इनके स्थान पर बचे हुए मंत्रियों को सदस्यता मिलेगी.
उच्च सदन में बीजेपी को पहली बार मिला बहुमत
उत्तर प्रदेश के उच्च सदन विधान परिषद में पहली बार बीजेपी को बहुमत मिला है. 100 सदस्यों वाले विधान परिषद में अभी बीजेपी के 66 सदस्य हैं. तीन अन्य सदस्यों का मनोनयन जल्द ही हो जायेगा. इसके बाद मई में भी तीन सदस्य बीजेपी के बनेंगे. इससे उसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 72 हो जायेगी. वहीं सपा की ताकत लगातार घटती जायेगी.