UPSC Result 2021: यूपी के छोटे शहरों से खिले प्रतिभा के फूल, शिक्षक बोले- संकल्प से कर रहे दिक्कतें दूर
यूपीएससी 2021 के परिणाम की फेहरिस्त में यूपी के कई छोटे शहरों जैसे बरेली, गोरखपुर, मैनपुरी, बहराइच, कासगंज आदि से प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं ने सफलता अर्जित की है. यह इस बात का संकेत है कि प्रतिभा सुविधाओं की मोहताज नहीं है.
UPSC Result 2021: श्रुति शर्मा ने सिविल सेवा परीक्षा में टॉप किया है. वह यूपी के बिजनौर जिले की रहने वाली हैं. उनके अलावा बिजनौर की ही स्मृति भारद्वाज और शुमायला चौधरी ने भी परीक्षा पास की है. श्रुति और शुमायला दोस्त भी बताई जा रही हैं. यूपीएससी 2021 के परिणाम की फेहरिस्त में यूपी के कई छोटे शहरों जैसे बरेली, गोरखपुर, मैनपुरी, बहराइच, कासगंज आदि से प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं ने सफलता अर्जित की है. यह इस बात का संकेत है कि प्रतिभा सुविधाओं की मोहताज नहीं है.
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‘सही फैसले नहीं ले पाते’
UPSC 2021 एग्जाम के फाइनल रिजल्ट 30 मई को घोषित किए गए हैं. इस बार 685 कैंडिडेट्स का चयन हुआ है. ऑल इंडिया में पहली रैंक श्रुति शर्मा ने पाई है. वह बिजनौर की रहने वाली हैं. लंबे समय से इन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले शिक्षक कृष्ण कुमार शर्मा ने बताया कि संकल्प सच्चा हो तो कुछ भी असंभव नहीं है. छोटे शहरों में रहने वाले कई बच्चे तमाम दिक्कतों से जूझते हुए इन प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होते हैं. अधिकतर को तो परीक्षा की तैयारी के लिए अपने गांव-कस्बा छोड़कर बड़े शहरों की ओर आना होता है. यह काफी समस्या देता है. हालांकि, जब उनसे यह पूछा गया कि सरकारी योजनाओं के माध्यम से ऐसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का क्या असर है तो उन्होंने कहा कि यह सुनने में अच्छा लगता है. मगर इन परीक्षाओं की तैयारी के लिए यह पर्याप्त नहीं हो पाता है. छोटे शहरों के होनहारों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत आती है माहौल की. वे उचित मार्गदर्शन न मिल पाने के कारण अक्सर सही समय पर सही फैसले नहीं ले पाते हैं.
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अंग्रेजी न आने की छटपटाहट
वहीं, ऐसी ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कराने वाले एसपी सिंह ने ‘प्रभात खबर’ को बताया कि छोटे शहरों के बच्चों को सबसे ज्यादा दिक्कत आती है मार्गदर्शन की. इसके बाद भी वे अपने सपनों को साकार कर रहे हैं. वे कहते हैं कि उन्होंने कई बार बच्चों को अंग्रेजी न आने की वजह से खुद को कमजोर महसूस किया है. मगर वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते समय अपनी इस कमी को भी पछाड़ देते हैं. ऐसे होनहारों को खुद को साबित करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अंग्रेजी न आने से उन्हें कुछ दिक्कत हो सकती है मगर वे प्रतिभाहीन नहीं कहे जा सकते. वहीं, एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यदि संकल्प मजबूत है तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. वे चाहे जिस माहौल और परिवेश के बीच पलें प्रतिभा अपने निखरने का रास्ता तलाश ही लेती है. हालांकि, शिक्षक कृष्ण कुमार शर्मा और एसपी सिंह दोनों ने इस बात का समर्थन किया कि छोटे शहरों में बड़े शहरों की अपेक्षा ज्यादा प्रतिभा होती है. इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि गांव-कस्बों के छात्र-छात्रा इस बात को जानते हैं कि वे सिर्फ अथक प्रयास करके ही अपने परिवेश को बदल सकते हैं. इस वजह से वे मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटते. बस, उन्हें समय रहते जरा सा सही मार्गदर्शन मिलना जरूरी है.
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