Subhash Chandra Bose Jayanti 2022 : नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर अलीगढ़ उनके अंतिम आगमन को भूला नहीं है. आजादी से पहले 1940 में स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर नबाव सिंह चौहान के बुलावे पर नेताजी अलीगढ़ के नगौला गांव में आए थे. इसके बाद नेताजी का फिर कभी आना नहीं हो पाया.
अलीगढ़ के नगौला गांव में आए थे नेताजी… 1940 में स्वतंत्र सेनानी ठाकुर नवाब सिंह चौहान के बुलावे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस अलीगढ़ के जवां स्थित नगौला गांव में आए थे. नेताजी सुभाष चंद्र बोस अलीगढ़ के खैर लोधा भी पहुंचे थे, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ था. अलीगढ़ के मालवीय पुस्तकालय में नेताजी की बड़ी जनसभा भी हुई थी, जिसकी अध्यक्षता मलखान सिंह ने की थी. जनसभा में नेता जी ने कहा था कि महात्मा गांधी के अहिंसा के रास्ते पर चलकर आजादी मिलने में समय लगेगा. अब अंग्रेजों के खिलाफ सशस्त्र युद्ध छेड़ने का समय आ गया है, तभी आजादी मिलेगी. वहां से नेताजी आगरा चले गए थे. फिर कभी वापस नहीं आए.
ऐसे थे नेताजी…बताया जाता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस अलीगढ़ में एक बनिया के यहां रुके थे. उस सेठ ने नेताजी को 101 रूपए और एक तेल का कनस्तर भेंट किया था. नेता जी ने कनस्तर वापस कर दिया था क्योंकि उन्हें दौरे में गाड़ियों के लिए पेट्रोल की आवश्यकता थी, इसलिए केवल 101 रुपए उन्होंने स्वीकार किया था. ऐसे थे नेताजी. अलीगढ़ में सुभाष चौक और प्रतिमा आज भी उनकी याद दिलाती है.