Gorakhpur: जिला अस्पताल में पहली बार हुआ घुटने का सफल प्रत्यारोपण, अब नहीं जाना पड़ेगा मेडिकल कॉलेज…
गोरखपुर के सूरजकुंड की 62 वर्षीय नरगिस बानो को काफी समय से घुटने में परेशानी थी. उन्होंने कई जगहों पर अपना उपचार कराया. लेकिन, सफलता नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने गोरखपुर जिला अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अंबुज को दिखाया.
Gorakhpur: गोरखपुर जिला अस्पताल में घुटने का सफल प्रत्यारोपण हुआ है. यह नगरवासियों के लिए राहत की खबर है, क्योंकि अभी तक कूल्हे और घुटने के रोगियों को इलाज के लिए गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज जाना पड़ता था. लेकिन, अब यह व्यवस्था जिला अस्पताल में हो जाने से मरीज यहीं पर अपना इलाज करा सकेंगे.
काफी समय से घुटने के दर्द से परेशान थी महिला
गोरखपुर के सूरजकुंड की 62 वर्षीय नरगिस बानो को काफी समय से घुटने में परेशानी थी. उन्होंने कई जगहों पर अपना उपचार कराया. लेकिन, सफलता नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने गोरखपुर जिला अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अंबुज को दिखाया, जिसके बाद उन्होंने घुटने के प्रत्यारोपण करने की बात बताई. इससे बुजुर्ग महिला महंगे खर्च के बारे में सोचकर घबरा गई.
पूरी तरह मुफ्त हुआ इलाज
इस पर जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने जब बताया कि यहां घुटने की प्रत्यारोपण के लिए कोई भी शुल्क नहीं लगेगा. साथ ही इलाज के बाद महिला को किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी. घुटना प्रत्यारोपण डॉक्टर अंबुज करेंगे. इस पर महिला तैयार हो गई. इसके बाद डॉक्टरों की टीम ने महिला के दाएं घुटने का प्रत्यारोपण किया. डॉक्टरों की टीम में डॉक्टर अंबुज, डॉक्टर राजेंद्र साहू, डॉक्टर आरपी गौतम, डॉक्टर आनंद कुमार सिंह थे. इस दौरान जिला अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ राजेंद्र ठाकुर भी मौजूद रहे.
चिकित्सकों का जताया आभार
नरगिस बानो के घुटने का सफल प्रत्यारोपण होने के बाद उन्होंने डॉक्टरों को हृदय से आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि काफी दिनों से वह घुटनों के दर्द से परेशान थी. पिछले एक साल से वह चल फिर नहीं पा रही थी, उन्हें काफी दिक्कतें झेलनी पड़ रही थी. घुटने के सफल ऑपरेशन के बाद वह काफी खुश हैं और उन्हें उम्मीद है कि वह पहले की तरह चल फिर पाएंगी.
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चिकित्सकों के मुताबिक जिला अस्पताल में सफल घुटना प्रत्यारोपण किया गया है. अब अस्पताल के आर्थो ओटी में अन्य मरीजों का भी घुटना प्रत्यारोपण शुरू किया जाएगा. इससे मरीजों को निजी अस्पताल में नहीं जाना पड़ेगा.
रिपोर्ट–कुमार प्रदीप, गोरखपुर