Ayodhya: अयोध्या में रामजन्मभूमि पर नवनिर्मित मंदिर में स्थापित की जाने वाली रामलला की मूर्ति की ऊंचाई में परिवर्तन हो सकता है. रामलला की मूर्ति थोड़ी ऊंची बनाये जाने पर रामनवमी पर सूर्य की किरणों से उनका अभिषेक हो सकेगा. इसके लिए नेशनल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों और अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने रामलला की मूर्ति की ऊंचाई 8.5 फीट रखने का सुझाव दिया है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक वर्तमान योजना के मुताबिक पांच फीट ऊंची मूर्ति बनए जाने पर सूर्य की सीधी किरणें नहीं पड़ेंगी. इसलिए अब इस सुझाव पर मंथन शुरू हो गया है. रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय के अनुसार समाधान निकालते हुए रामलला की मूर्ति की ऊंचाई उस संतुलन में संयोजित हो सकेगी, जिसमें श्रद्धालु रामलला का पूरी स्पष्टता से दर्शन कर सकें. साथ ही राम जन्मोत्सव के अवसर पर रामलला पर सूर्यदेव की रश्मियां भी पड़ सकेंगी.
रामजन्मभूमि में स्थापित होने वाली अचल मूर्ति के रंग-रूप, भव्यता पर मणिरामदास की छावनी के चारधाम मंदिर में हुई बैठक में मंथन किया गया. मूर्ति निर्माण के लिए कर्नाटक, उड़ीसा व पुणे के तीन कलाकारों को अपने-अपने स्तर से रामलला की मूर्ति का प्रारूप तैयार करने को कहा गया है.
इन तीनों मूर्तियों में जो सर्वश्रेष्ठ होगी, उसे नवनिर्मित मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा. इसमें चार से छह महीने का समय लग सकता है. ट्रस्ट के मुताबिक पहले मूर्तियों का रेखाचित्र बनाया जाएगा. इसके बाद उसे मोम या फाइबर का बनाया जाएगा और उसके बाद चयनित शिला पर गढ़ा जाएगा, इसके बाद रामलला की मूर्ति स्पष्ट तौर पर नजर आएगी और फैसला करने में सुविधा होगी.
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कहा जा रहा है कि भगवान रामलला की मूर्ति पांच वर्ष के बालक स्वरूप की होगी, जो खड़ी अवस्था में होगी. इससे पहले ट्रस्ट ने रामलला की बैठी हुई मुद्रा की मूर्ति स्थापित करने का मन बनाया था. वहीं मूर्ति का निर्माण श्लोक ‘नीलाम्बुजश्यामलकोमलाङ्गं” के मुताबिक किया जाएगा. इस श्लोक में कहा गया है कि भगवान राम के नीले कमल के समान श्याम और कोमल अंग हैं. मूर्ति में रामलला का बालपन नजर आएगा. रामचरित मानस में रामलला के बाल स्वरूप का वर्णन जिस तरह से किया गया है, मूर्ति में उसकी झलक नजर आएगी.