Noida Twin Tower : सीरीयल ब्लास्ट से मलबे में बदल जाएगी 40 मंजिला इमारत, धूल के गुबार से कैसे बचेंगे ?
इन दोनों टावरों को गिराने से 42,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकलेगा. टावर के चारों ओर मलबे का ढेर एकत्र हो जाएगा. इसका एक बड़ा हिस्सा बेसमेंट में रखा जाएगा. अधिकारियों के अनुसार, शेष को नोएडा के भीतर एक अलग स्थान पर ले जाया जाएगा और वैज्ञानिक रूप से निस्तारित किया जाएगा.
Supertech Twin Towers Demolition: उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) की सबसे बड़ी चिंता दिल्ली की कुतुब मीनार से भी ऊंची 40 मंजिला इमारतों के ब्लास्ट होने के बाद उठने वाले धूल के गुबार से कैसे बचा जाए? साथ ही, मलबे का क्या होगा?
जानकारी के मुताबिक, इन दोनों टावरों को गिराने से 42,000 क्यूबिक मीटर मलबा निकलेगा. टावर के चारों ओर मलबे का ढेर एकत्र हो जाएगा. इसका एक बड़ा हिस्सा बेसमेंट में रखा जाएगा. अधिकारियों के अनुसार, शेष को नोएडा के भीतर एक अलग स्थान पर ले जाया जाएगा और वैज्ञानिक रूप से निस्तारित किया जाएगा. कुछ मलबा टावर के पास सड़क पर भी गिरेगा. इस बीच नोएडा ट्विन टावरों के विध्वंस के कारण 4000 टन लोहे का उत्पादन होगा, और एडिफिस इसे बेचकर लागत वसूल करेगा. मलबा हटाने में 90 दिन लगेंगे, जबकि ट्रक उन्हें ले जाने के लिए 1,300 चक्कर लगाएंगे. मगर सवाल अब भी यही है कि धूल का क्या होगा?
इस संबंध में विशेषज्ञों की राय है कि यह एक बहुत बड़े पैमाने पर विध्वंस है. मगर इसका कोई बड़ा प्रभाव नहीं होगा. वायु प्रदूषण पर व्यापक काम करने वाले आईआईटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ सच्चिदा नंद त्रिपाठी ने द क्विंट को बताया, ‘शायद एक या दो सप्ताह के लिए धूल का स्तर ऊंचा हो जाएगा.’ इस बीच भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और भारतीय वायु सेना को धूल के बादल के बारे में सतर्क कर दिया गया है जो जमीनी स्तर से 300 मीटर ऊपर पहुंचने की संभावना है और इसे व्यवस्थित होने में 10-15 मिनट लग सकते हैं.
नोएडा ट्विन टावर को ब्लास्ट करने के दौरान धूल को दूर रखने के लिए फायर टेंडर, पानी के छिड़काव और अन्य कर्मियों को तैनात किया जाएगा. अधिकारियों ने दोनों इमारतों के प्रत्येक तल पर जालीनुमा कपड़ा लगाया है. नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रितु माहेश्वरी ने मीडिया को बताया, ‘यहां रहने वाले लोगों ने ब्लास्ट के बाद क्षेत्र में धूल के बादल और वायु प्रदूषण के बारे में चिंता जताई है. टावरों के पास निगरानी उपकरण लगाए जा रहे हैं और इसका डेटा निवासियों के साथ साझा किया जाएगा.‘