Varanasi News: ज्ञानवापी परिसर में अभिषेक करने को लेकर धरने पर बैठे स्वामी अभिमुक्तेश्वरानंद ने आखिर अपना अनशन खत्म कर दिया है. उन्होंने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के निवेदन पर 108 घंटे बाद अपना अनशन खत्म कर दिया है. इस मौके पर उन्होंने कहा कि, जगद्गुरु शंकराचार्य का आदेश है कि आदि विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा शुरू करें, और देशभर में अभियान चलाएं.
ज्ञानवापी के वजूखाने में मिले शिवलिंग की पूजा की मांग पर अड़े स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने 108 घंटे बाद बुधवार सुबह अपना अनशन समाप्त कर दिया. उन्होंने ज्योतिष्पीठाधीश्वर और द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का पत्र मिलने का ये ऐलान किया है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अनुसार 108 घंटे के अनशन के दौरान उनका वजन 5 किलोग्राम 400 ग्राम कम हुआ है.
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बुधवार को कहा कि, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का पत्र प्राप्त हुआ है. साथ ही कांची मठ के महाराज का भी स्नेहपूर्ण निवेदन पत्र प्राप्त हुआ है. गुरु आज्ञा से ही भगवान आदि विश्वेश्वर की पूजा के लिए मैं काशी आया था. उनके ही आदेश पर अब भगवान आदि विश्वेश्वर की पादुकाओं का प्रतीक पूजन करूंगा. गुरु आज्ञा को सदा से ही हमने सर्वोपरि माना है. अतः आज भगवान आदि विश्वेश्वर की पादुकाओं का प्रतीक पूजन श्रीविद्या मठ में करके अपने 108 घंटे की निर्जल तपस्या को प्रातः 7 बजे खत्म किया है.
उन्होंने आगे कहा कि, अब अपने गुरु की आज्ञा के अनुसार, भगवान आदि विश्वेश्वर के भव्य मंदिर निर्माण के लिए देशव्यापी अभियान चलाएंगे. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि ज्ञानवापी में आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग प्रकट हुआ है. उन्होंने आदि विश्वेश्वर की नियमित पूजा-स्नान, शृंगार और राग-भोग करना जरूरी बताया और इस मांग को लेकर अनशन पर बैठ गए.
उन्होंने 4 जून को ज्ञानवापी जाकर शिवलिंग की पूजा का ऐलान भी किया था. पुलिस ने उन्हें ज्ञानवापी जाने से रोक दिया, जिसके बाद वह श्रीविद्या मठ में अनशन पर बैठ गए. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि जब तक शिवलिंग की पूजा शुरू नहीं हो जाती तब तक वह अन्न-जल ग्रहण नहीं करेंगे. उनकी ओर से इस मांग को लेकर अदालत में याचिका भी दाखिल की गई है. जिस पर जिला जज की अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह